सहारनपुर : सहारनपुर महापौर डॉ अजय कुमार की अधिकारियों-ठेकेदारों के गठजोड़ के खिलाफ छिड़ी जंग थमती नहीं दिख रही है। जिला प्रशासन द्वारा पीडब्लूडी अधिकारियों और उनके करीबी ठेकेदारों के खिलाफ मुकदमा न लिखे जाने से आहत महापौर और पार्षद अब अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं. महापौर का कहना है कि प्रशासन संवैधानिक अधिकारों का भी गला घोटने में जुटा है। एक व्यक्ति के तौर पर किसी का भी हक है कि वो अपनी एफआईआर दर्ज कराये। उनके 40 के करीब पार्षदों पर जो प्रशासन रात के 2 बजे आनन-फानन में एफआईआर दर्ज करा देता है, वो पीडब्लूडी अधिकारियों और कॉकस के ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में हीला-हवाली बरत रहा है। इस बीच रविवार को भी प्रशासनिक खेमे से मान-मनौव्वल का दौर चलता रहा, लेकिन हर कोशिश नाकामयाब होती दिख रही है।
दरअसल, शनिवार को सहारनपुर महापौर और पार्षद एसएसपी कार्यालय पहुंच गए थे। वहां, उन्होंने पीडब्लूडी अधिकारियों और करीबी ठेकेदारों पर जाति-सूचक शब्दों से अपमानित करने का आरोप लगाते हुए एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराने की मांग की। पार्षद नीरज कुमार ने एसएसपी रोहित सिंह सजवाण को दिए गए शिकायती पत्र में लिखा कि लोक निर्माण विभाग ने तकरीबन दस महीने पहले उनके वार्ड में सड़क और नाला निर्माण कराया था। बारिश के दौरान नाले की दीवार के साथ वाल्मीकि मंदिर की दीवार ढह गई थी। मेरे वार्ड के लोग चाहते थे कि वाल्मीकि मंदिर की दीवार बन जाये। Saharanpur News
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वह लगातार अधिशासी अभियंता से दीवार बनवाने की गुजारिश कर रहे थे। 28 अगस्त को भी जब उन्होंने फोन पर अधिशाषी अभियंता से मंदिर की दीवार बनवाने की प्रार्थना की तो वो अभद्रता पर उतर आये। जिसकी रिकार्डिंग भी वॉयरल हो चुकी है। उनका कहना था कि जब वो और साथी पार्षद विरोध दर्ज कराने अधिशासी अभियंता धर्मेन्द्र सिंह के कार्यालय पहुंचे तो अधिशासी अभियंता ने साथी पार्षदों के साथ गाली गलौज की। पार्षद राजू सिंह और उनको भी जाति सूचक शब्दों से अपमानित करते हुए, धमकी दी गई। मौके पर मौजूद रहे कई ठेकेदारों और कर्मचारियों ने भी अभद्रता की। इस मामले में जब उनके द्वारा रिपोर्ट लिखवाने की कोशिश की गई तो उन्हें टहलाया जाता रहा। Saharanpur News
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इस बीच शनिवार को देर रात 1 बजकर 55 मिनट पर पीडब्लूडी अभियंता की तरफ से 40 पार्षदों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई। इससे नाराज महापौर सुबह-सुबह अपने पार्षदों के साथ गिरफ्तारी देने पुलिस कप्तान दफ्तर पहुंच गये। उनका कहना था कि उनके पार्षदों की एफआईआर भी दर्ज होनी चाहिए, जो व्यक्ति के तौर पर भी उनका संवैधानिक अधिकार है। महापौर का आरोप था कि जब पार्षद अपनी बात रखने पीडब्लूडी दफ्तर पहुंचे थे तो कई ठेकेदार भी हाथापायी में शामिल थे। Saharanpur News
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उनका कहना था कि ठेकेदारों और भ्रष्ट अधिकारियों के कॉकस से केन्द्र-राज्य की परियोजनाओं का बेड़ा गर्क हो रहा है। दरअसल, इस मामले की जड़े भी नाला-निर्माण से जुड़ी हैं जो भ्रष्ट-तंत्र का शिकार बनकर ढह गया था। जब इस मामले में दोषी तय करने की बात हुई तो अधिकारियों का कॉकस करीबी ठेकेदारों की ढाल बन गया। महापौर ने कल मीडिया से बात-चीत में भी स्मार्ट-सिटी प्रॉजेक्ट में भारी अनियमितता की बात कही थी। उन्होंने साफ कहा था कि केन्द्र-राज्य की परियोजनाओं की नीर-क्षीर जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारियों-ठेकेदारों पर नकेल कसी जानी चाहिए। Saharanpur News
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