ओलंपिक कुश्ती : विनेश फोगाट की दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने ओलंपिक कुश्ती के सख्त वेट-इन नियमों को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। विनेश फोगाट की पेरिस ओलंपिक 2024 में डिस्क्वालिफिकेशन निश्चित रूप से भारतीय खेल जगत के लिए एक बड़ा झटका रहा। यह घटना ओलंपिक कुश्ती के सख्त वजन नियमों को उजागर करती है और साथ ही एथलीटों पर प्रदर्शन के दबाव को भी दर्शाती है।
वेट-इन नियमों की सख्ती
- कोई छूट नहीं: ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर वेट-इन नियमों में किसी भी तरह की छूट नहीं दी जाती है। चाहे वह विनेश फोगाट हों या कोई और, सभी को इन नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
- सटीक वजन: एथलीट को निर्धारित वजन सीमा के भीतर ही रहना होता है। यहां तक कि कुछ ग्राम का अधिक वजन भी अयोग्यता का कारण बन सकता है।
- बार-बार वजन मापने का अधिकार: हालांकि एथलीटों को बार-बार अपना वजन मापने का अधिकार होता है, लेकिन अंतिम वजन मापने के समय उन्हें निर्धारित सीमा के भीतर ही रहना होता है।
विनेश फोगाट का मामला
- अंतिम समय में वजन बढ़ना: विनेश फोगाट ने शुरुआत में वजन सीमा को पूरा किया था, लेकिन अंतिम समय में कुछ ग्राम का वजन बढ़ जाने के कारण उन्हें प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा।
- तीन कठिन मुकाबले: विनेश ने एक दिन में तीन कठिन मुकाबले लड़े थे, जिसके कारण उनके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स और अन्य पूरक लेने से वजन बढ़ गया हो सकता है।
- दुर्भाग्यपूर्ण अंत: विनेश के लिए यह एक बहुत बड़ा झटका था और भारतीय खेल प्रेमियों के लिए भी यह एक दुखद घटना थी।
वेट-इन नियमों के पक्ष और विपक्ष
- पक्ष:
- सभी एथलीटों के लिए समान अवसर: ये नियम सभी एथलीटों के लिए एक समान खेल का मैदान सुनिश्चित करते हैं।
- प्रदर्शन बढ़ावा: वजन श्रेणी के अनुसार प्रतिस्पर्धा करने से एथलीटों को अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
- विपक्ष:
- चोट का खतरा: अत्यधिक वजन कम करने के लिए एथलीटों को कठोर आहार और कसरत का पालन करना पड़ता है, जिससे चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है।
- मानसिक दबाव: वजन सीमा के दबाव में एथलीटों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
निष्कर्ष
विनेश फोगाट का मामला हमें ओलंपिक कुश्ती के वेट-इन नियमों की सख्ती और इन नियमों के पक्ष और विपक्ष दोनों पहलुओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है। भविष्य में शायद इन नियमों में कुछ बदलाव किए जाएं ताकि एथलीटों को अधिक लचीलापन मिल सके और साथ ही सभी के लिए एक समान खेल का मैदान भी बना रहे।
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