चंडीगढ़, 12 जनवरी। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एचपीएससी की परीक्षा से हरियाणा जीके खत्म करने, पटवारी व कानूनगो के धरने-प्रदर्शन और यूरिया बैग का वजन घटाने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है।
हुड्डा आज पार्टी में 2 दर्जन से ज्यादा नेताओं की ज्वाइनिंग के मौके पर बोल रहे थे। इस मौके पर उन्होंने एचपीएससी द्वारा सहायक पर्यावरण अभियंता भर्ती को लेकर जारी सिलेबस पर कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार हरियाणवी युवाओं को नौकरियों से पूरी तरह वंचित करना चाहती है। इसलिए जानबूझकर सरकारी भर्तियों के लिए ऐसे नियम बनाए जा रहे हैं, जिसका अन्य राज्य के युवाओं को लाभ हो सके। एचपीएससी द्वारा सिलेबस से हरियाणा जीके को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। एचएसएससी और एचपीएससी की भर्तियों लगातार गैर-हरियाणवियों को तरजीह देने के लिए यहीं नीति अपनाई जा रही है। एसडीओ, बीडीपीओ, लेक्चरर से लेकर सहायक पर्यावरण अभियंता तक हर भर्ती में हरियाणवियों के साथ इसी तरह की साजिश हो रही है।
उन्होंने कहा कि अब एचपीएससी ने एसीएस परीक्षा के लिए भी उन अभ्यर्थियों को अप्लाई करने की छूट दे दी है जिनके पास हरियाणा डोमिसाइल नहीं है। बिना डोमिसाइल के ही वह खुद को हरियाणा का रेजिडेंस बता सकते हैं। इससे इससे पहले बीजेपी-जेजेपी ने हरियाणा डोमिसाइल के नियमों में फेरबदल करके 15 साल की शर्त को घटाकर 5 साल कर दिया था। सरकार द्वारा यह तमाम नीतियां इसलिए बनाई जा रही हैं कि हरियाणा की नौकरियों में हरियाणवी युवाओं का ही चयन ना हो पाए। जबकि तमाम राज्य अपनी नौकरियों में स्थानीय युवाओं को तरजीह देने के लिए नीतियां बनाते हैं।
हुड्डा ने कहा कि पटवार एवं कानूनगो संगठन द्वारा जारी धरना-प्रदर्शन को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने इनके साथ धोखा किया है। पिछली बार सरकार ने इनकी मांगे मानने का आश्वासन दिया था। लेकिन उसपर अमल नहीं किया। इसी वजह से पटवारी और कानूनगो 3 जनवरी से लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके चलते सरकारी कामकाज बाधित हो रहे हैं और जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए जरूरी है कि सरकार कर्मचारियों से किए अपने वादे को निभाए और इनकी मांगों को पूरा करे।
हुड्डा ने कहा कि है ये सरकार कर्मचारी, जवान और किसान समेत हर वर्ग की दुश्मन बनी हुई है। किसानों के साथ एक बार फिर धोखा करते हुए यूरिया बैग के वजन को घटाकर 45 से 40 किलो कर दिया गया है। जबकि किसान को इसके लिए पहले जितनी कीमत ही चुकानी पड़ेगी। इससे पहले 50 किलो के बैग का वजन घटकर 45 किलो किया गया था। सरकार लगातार खाद, बीज, दवाई और पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ाकर किसानों की लागत में इजाफा कर रही है। इसके चलते खेती घाटे का सौदा बन गई है।