Loksabha Election

Congress manifesto : कांग्रेस का मेनिफेस्टो न्याय पत्र है या फिर चुनावी घोषणा पत्र?

Congress manifesto : कांग्रेस का मेनिफेस्टो न्याय पत्र है या फिर चुनावी घोषणा पत्र?

Published By Special Desk News14Today

Congress manifesto : चुनावों से पहले जनता के सामने एक घोषणा पत्र यानि मेनिफेस्टो जारी करना हिंदुस्तान की राजनीतिक पार्टियों का जन्मसिद्ध अधिकार की तरह हो चुका है, भले ही वो उस पर अमल करते हुए जनता से किए गए अपने वायदों को सत्ता में आने के बाद निभाएं या न निभाएं, ये उनकी मर्जी होती है।

इसकी वजह ये है कि न तो चुनाव जिताकर सरकार में भेजने वाली जनता बाद में इन पार्टियों से इनके वायदे पूरे करने के लिए दबाव नहीं देती है और न सवाल पूछती है। और न ही चुनाव आयोग ये हिम्मत जुटा पाता है कि चुनी हुई सरकार से ये पूछ सके कि उसके द्वारा जनता से किए गए वायदों को वो पूरा क्यों नहीं करती? कहने को अब इन पार्टियों के नेता अपने चुनावी भाषणों में अपनी घोषणाओं को गारंटी कहने लगे हैं, लेकिन जनता फिर भी नहीं पूछती कि उनकी पिछली गारंटियों का क्या हुआ?

Congress manifesto

ये भी पढ़िए …  तीन तलाक कानून के बहाने मुस्लिम मतदाताओं को साध गए रक्षा मंत्री, सपा-कांग्रेस पर रहे हमलावर

अभी 5 अप्रैल को कांग्रेस ने भी अपना घोषणा पत्र जारी किया, जिसे लेकर काफी चर्चा राजनीतिक गलियारों से लेकर जनता के बीच हो रही है। एक तरफ भाजपा नेता यानि सत्ता पक्ष का आरोप है कि कांग्रेस ने पहले तो कुछ किया नहीं, तो अब जनता से झूठे वायदे करके उसे गुमराह क्यों कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उनके तमाम बड़े नेता और मंत्री भी कांग्रेस को घेरने में लगे हैं और वो कांग्रेस के इस घोषणा पत्र को जनता को धोखा देने वाले घोषणा पत्र के अलावा कांग्रेस को हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाने वाला तक बताने में लगे हैं। हालांकि किसी भी पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र जनता को लोकलुभावन वायदों में फंसाने वाला ही होता है, लेकिन अब देखा जा रहा है कि कुछ पार्टियों को अपने घोषणा पत्रों में बढ़-चढ़कर वायदे ही नहीं करने पड़ रहे हैं, बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए भी मजबूर होना पड़ रहा है। Congress manifesto

ये भी देखिये … Rajput समाज के लोग बोले बिना परमिशन की सभा हिम्मत हो तो कर लो मुकदमे दर्ज

दरअसल, चुनावी वायदों को करके उन्हें पूरा करने की रिवायत तो हिंदुस्तान की राजनीति में पुरानी है, लेकिन कुछ बड़ी पार्टियां अपने वायदों को पूरा न करने में माहिर हैं। लेकिन जब आम आदमी पार्टी राजनीतिक अस्तित्व में आई, तो उसने कई वायदे पूरे किए और जनता से वोट भी काम के नाम पर मांगे। आम आदमी पार्टी की सरकार ने मुफ्त की रेवड़ियां भी इस प्रकार बांटीं कि दूसरी पार्टियों को भी जनता को न सिर्फ मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के वायदे करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, बल्कि कुछ हद तक मुफ्त की रेवड़ियां बांटनी भी पड़ रही हैं। हालांकि जनता को सुविधाएं देना मुफ्त की रेवड़ियां नहीं कही जा सकतीं, क्योंकि जो बजट जनता के हित के लिए ही है, अगर उसमें से कोई सरकार घोटाले न करके उस पैसे से जनता को सुविधाएं दे, तो उसे मुफ्त की रेवड़ियां कहना उचित नहीं होगा, क्योंकि नेताओं को जितनी मुफ्त की रेवड़ियां मिलती हैं, उतनी तो देश में किसी को नहीं मिलतीं, एक नौकरशाह को भी नहीं। Congress manifesto

ये भी पढ़िए …  पीएम मोदी को सुनने के बाद बोले मुसलमान “अबकी बार 400 पार, फिर एक बार मोदी सरकार”

लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान जनता को दी जाने वाली मुफ्त सुविधाओं को खुद ही मुफ्त की रेवड़ी कहा था, लेकिन उन्होंने अपने पिछले करीब 10 सालों के दो कार्यकालों में मुफ्त की रेवड़ियां न सिर्फ बांटने के दर्जनों वायदे किए हैं, बल्कि मुफ्त रेवड़ियां देने के दावे भी किए हैं। जैसे 80 करोड़ लोगों को 5 किलो हर महीने राशन देना, किसानों को 500 रुपए महीने किसान सम्मान निधि राशि देना, उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर देना आदि। Congress manifesto

ये भी देखिये …

बहरहाल कांग्रेस पार्टी ने पिछले चुनावों की तरह इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए भी अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है, जिसे उसने न्याय पत्र नाम दिया है। लेकिन इस घोषणा पत्र की चर्चा बहुत हो रही है। ये चर्चा इतनी क्यों हो रही है, इसकी कई वजहें हैं। कुछ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने घोषणा पत्र में जो वायदे किए हैं, अगर उसने अपने कार्यकाल में इस तरह के काम किए होते, तो जनता को उस पर विश्वास होता और निश्चित ही लोग भरोसा करते कि कांग्रेस अपने वायदों की पक्की है। Congress manifesto

ये भी देखिये …  अपनी बार-बार हार को लेकर बड़ी बात बोल गए इमरान मसूद

लेकिन उसने पहले जमीनी स्तर पर उतना काम नहीं किया, जितनी की उससे उम्मीद थी और अब उसे सत्ता में वापसी के लिए चुनावी वायदे करने पड़ रहे हैं। वहीं कुछ राजनीतिक जानकारों को कहना है कि भाजपा हर चीज पर अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझने लगी है, इसलिए कांग्रेस का घोषणा पत्र में जनता से किए गए वायदे उसे हजम नहीं हो रहे हैं। जाहिर सी बात है कि जो पार्टी दूसरी पार्टी के नेताओं को प्रचार करने तक से रोकना चाहती है, उसे किसी दूसरी पार्टी का जनता के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया घोषणा पत्र कैसे रास आएगा? Congress manifesto

दरअसल कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र को न्याय पत्र का नाम दिया है। इस घोषणा पत्र में 5 न्याय और 25 गारंटियों को सरकार बनने पर करने का वायदा कांग्रेस पार्टी ने जनता से किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और नेता राहुल गांधी ने कांग्रेस मुख्यालय में घोषणा पत्र जारी करके अगले ही दिन जयपुर और हैदराबाद में जनसभाएं आयोजित कर दीं। इस घोषणा पत्र को जारी करने के दौरान घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष पी चिदंबरम ने विस्तार से बताया था कि कांग्रेस के इस न्याय पत्र में क्या-क्या वायदे किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को तुरंत पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करेगी। लद्दाख के जनजातीय क्षेत्रों को शामिल करने के लिए संविधान की छठी अनुसूची में संशोधन किया जाएगा। पाकिस्तान के साथ जुड़ाव मूल रूप से सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने की उसकी इच्छा और क्षमता पर निर्भर करता है। Congress manifesto

ये भी पढ़िए …  उलेमाओं ने INDIA गठबंधन के खिलाफ लगाए मुर्दाबाद के नारे, सपा-कांग्रेस को वोट नही देने की कर रहे अपील

कांग्रेस अग्निपथ योजना को खत्म करेगी और सेना, नौसेना और वायु सेना द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य भर्ती प्रक्रियाओं को लागू करेगी। साथ ही सैनिकों को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देगी। लद्दाख में चीनी घुसपैठ और 2020 में गलवान झड़प ने दशकों में भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा झटका दिया। 19 जून 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन को क्लीन चिट दे दी, जिससे हमारी बातचीत की स्थिति काफी कमजोर हो गई। चीन द्वारा कब्जा किए गए इलाकों को वापस लेने की रणनीति के तहत विस्तृत विचार-विमर्श के बाद कांग्रेस एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति जारी करेगी। Congress manifesto

ये भी देखिये … 

रक्षा मंत्री का परिचालन निर्देश सशस्त्र बलों की युद्ध योजना को निर्धारित करता है। यूपीए सरकार ने आखिरी निर्देश 2009 में जारी किया था। दो मोर्चों की चुनौती से निपटने के लिए कांग्रेस एक नया ऑपरेशनल निर्देश लाएगी। नोटबंदी, रफाल सौदा, पेगासस मामला, पीएम केयर फंड और चुनावी बॉन्ड आदि मामलों की जांच कराई जाएगी। साथ ही भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं की भी जांच होगी, जिन पर कार्रवाई नहीं हुई है। Congress manifesto

ये भी देखिये …   स्व. राजेंद्र राणा की बेटी का बड़ा बयान, ब्रह्म का शिकार ना हो राजपूत समाज

कांग्रेस के इस घोषणा पत्र में साल में 30 लाख नौकरियां देने, गरीब परिवार की महिलाओं को नारी न्याय के अंतर्गत महालक्ष्मी गारंटी के तहत एक-एक लाख रुपये सालाना देने, जाति जनगणना कराने, आरक्षण की 50 फ़ीसदी की सीमा खत्म करने, सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, मनरेगा मजदूरी बढ़ाकर 400 रुपए प्रतिदिन करने, श्रमिक न्याय के तहत मजदूरों को स्वास्थ्य का अधिकार देने, शहरी रोजगार गारंटी देने, जांच एजेंसियों का दुरुपयोग रोकने और पीएमएलए कानून में बदलाव करने का ऐलान किया गया है। घोषणा पत्र में पांच न्यायों – हिस्सेदारी न्याय, किसान न्याय, नारी न्याय, श्रमिक न्याय और युवा न्याय की बात की गई है। Congress manifesto

ज़ाहिर है कि कांग्रेस के कार्यकर्ता इस घोषणा पत्र को घर-घर गारंटी अभियान के तहत पूरे भारत में 8 करोड़ परिवारों को इसे गारंटी कार्ड के रूप में बाटने का काम करेंगे। इसीलिए इस घोषणा पत्र को कांग्रेस ने 14 अलग-अलग भाषाओं में छापा है। कांग्रेस के समर्थकों का कहना है कि भाजपा नेता इसलिए बौखलाए हुए हैं, क्योंकि घोषणा पत्र में आम जनता को राहत और सुविधाएं देने और मौजूदा सरकार में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच करने की बात कही गई है। लेकिन भाजपा के कार्यकर्ता मानने की यह कांग्रेस के झूठ का पुलिंदा है अगर कांग्रेस आजादी के बाद करीब 60 साल के शासनकाल में कुछ नहीं कर पाई तब आने वाले चुनाव में क्या कर लेगी। Congress manifesto

इस बात का विश्वास जानता नहीं करेगी। हालांकि दोनों मुख्य सियासी दलों के अपने-अपने आकलन है अब देखना होगा कि 2024 का सियासी ऊंट किस करवट बैठता है। बहरहाल, देखना होगा कि कांग्रेस का ये घोषणा पत्र जनता के बीच क्या असर डालता है। इस बार वोटरों के रुझान का अंदाजा लगाना मुश्किल दिखाई पड़ रहा है। ऐसा लगता है कि इस बार ज्यादातर वोटर बहुत उत्साहित नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में वें किसे अगली पंचवर्षीय देश की सत्ता के लिए चुनते हैं, ये उनके विवेक पर निर्भर करता है। लेकिन फिलहाल भाजपा के साथ-साथ कई राजनीतिक पार्टियों का घोषणा पत्र आना बाकी है। देखते हैं कि उनके घोषणा पत्रों में कितने वायदे और गारंटियां दी जाती हैं। Congress manifesto

(लेखक दैनिक भास्कर के राजनीतिक संपादक हैं)

 

WWW.NEWS14TODAY.COM

Similar Posts