Budget 2024-25

Budget 2024 : बजट में किसानों को लुभाने की कोशिश करेगी मोदी सरकार

Budget 2024 : बजट में किसानों को लुभाने की कोशिश करेगी मोदी सरकार

Published By Roshan Lal Saini

Budget 2024 : केंद्र की मोदी सरकार अगले वित्त वर्ष यानि 2024-25 के लिए अंतरिम बजट की तैयारियों में जुटी है। इस बार निश्चित ही सरकार महिलाओं, किसानों, युवाओं और मध्यम परिवारों को ध्यान में रखेगी। अगर हम किसानों की बात करें, तो ऐसा लगता है कि इस बार केंद्र की मोदी सरकार किसानों को खुश करने के लिए कृषि ऋण लक्ष्‍य बढाएगी। जानकारों की मानें तो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस वित्तीय वर्ष के लिए कृषि ऋण को बढ़ाकर 22 से 25 लाख करोड़ रुपये तक करने की घोषणा कर सकती हैं। इसके साथ-साथ केंद्र की मोदी सरकार किसानों तक आसानी से ऋण की पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए कुछ कृषि ऋण के नियमों को सरल कर सकती है।

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ऐसी संभावना है कि सरकार किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने के आंकड़े भी पेश करेगी, जिससे किसानों में केंद्र की मोदी सरकार के प्रति एक भरोसा पैदा हो और सरकार से रूठे हुए किसान एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में खड़े हो सकें। हालांकि जैसा कि देखा जा रहा है कि अभी तक केंद्र की मोदी सरकार ने किसान आंदोलन के दौरान किसानों से जो वादे किए थे, उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया है और इसके चलते किसान सरकार से बहुत नाराज हैं। कई बार ऐसे भी बयान किसान संगठनों की तरफ से आए हैं कि किसान दोबारा सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ इकट्ठा होकर आंदोलन चलाएंगे और इस बार अपनी सभी मांगों को मनवाकर ही आंदोलन खत्म करेंगे। Budget 2024-25

बहरहाल, मौजूदा वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण लक्ष्य 20 लाख करोड़ रुपये है. जिसे इस बार बढ़ाए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कुल कृषि ऋण वितरण 21.55 लाख करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2023-24 के लिए रखे गए 18.50 लाख करोड़ रुपये के ऋण लक्ष्य से अधिक था। मौजूदा वित्त वर्ष में दिसंबर 2023 तक सरकार ने अपने कृषि ऋण लक्ष्य का करीब 82 फीसदी यानि 20 लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण किसानों को दिया है, जिसमें से प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के बैंकों ने करीब 16.37 लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण इस वित्त वर्ष यानि 2023-24 के वित्त वर्ष के लिए दिसंबर 2023 तक दिया है। वहीं किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए भी किसानों को 7.34 करोड़ रुपए का कृषि ऋण सरकार ने मुहैया कराया है। Budget 2024-25

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बहरहाल, वर्तमान में केंद्र सरकार सभी वित्तीय संस्थानों के लिए 3 लाख रुपये तक के कम समय के ऋण पर 2 फीसदी की छूट देती है। जो किसान इस ऋण को सही समय पर चुका देते हैं, उन्हें सालाना 3 फीसदी की अतिरिक्त छूट ब्याज में मिलती है। और इस हिसाब से किसानों को सालाना 2 फीसदी की रियायती दर पर तो ऋण मिलता ही है, समय पर ऋण चुकाने पर कुल सालाना छूट 5 फीसदी हो जाती है, जो कि 3 लाख रुपये तक के कृषि ऋण पर ही मिलती है। अब जानकारी है कि केंद्र की मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट में कृषि ऋण पर अधिक ध्यान दे रही है। Budget 2024-25

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इसकी वजह यह भी है कि सरकार जानती है कि हमारे कृषि प्रधान देश की सबसे बड़ी आबादी कृषि क्षेत्र से जुड़ी है और यह देश का रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत है। इसलिए सरकार किसानों को अपने पक्ष में लेना चाहती है, जिसके लिए उसने सालाना 6 हज़ार रुपए किसानों के खाते में डालकर उन्हें पिछले कई साल से रिझाने की कोशिश की है। इसके साथ-साथ केंद्र की मोदी सरकार की पिछले 10 सालों से कोशिश रही है कि वो किसानों को ज्यादा से ज्यादा ऋण दे सके, और कृषि ऋण नेटवर्क को मजबूत करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने बाकायदा कई अभियान चलाए हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकार कृषि बजट को किसानों के हित में खर्च नहीं कर पाती है। Budget 2024-25

दरअसल, केंद्र सरकार जानती है कि कृषि प्रधान देश होने के बावजूद हिंदुस्तान के किसान एमएसपी के हिसाब से भी उनकी फसलों का भाव न मिलने और उधारी में फसलों के बिकने के चलते पैसे-पैसे को दुखी रहते हैं, जिसके चलते छोटे और मझोले दर्जे के किसान, जिनकी संख्या देश में सबसे ज्यादा है, अपनी अगली फसल बोने के लिए ऋण पर ही निर्भर रहते हैं। इसी का फायदा सरकार भी उठाना चाहती है। केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों की इस समस्या को भांपते हुए कृषि ऋण देने का तरीका बढ़ाते हुए किसान क्रेडिट कार्ड भी लांच कर दिया और ऋण को सुविधाजनक बनाने का काम किया। Budget 2024-25

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कई मायनों में ये अच्छा हो सकता है, लेकिन मेरा मानना है कि अगर किसानों को उनकी फसलों का सही भाव मिल जाए और बेची गई फसलों का भुगतान समय पर मिल जाए, तो देश के ज्यादातर किसान ऋणी होने से बच जाएंगे। किसानों पर ऋण का बोझ ज्यादा होने पर न सिर्फ किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों में इजाफा होता है, बल्कि उनकी जमीनें भी कौड़ी भाव में चली जाती हैं और इसके बावजूद किसान और उनके बच्चे पीढ़ी दर पीढ़ी कर्जदार बने रहते हैं। Budget 2024-25

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संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों में बढ़ रहे तनाव, आत्महत्या के चलन को रोकने में नाकामी के लिए और कृषि बजट खर्च न कर पाने के लिए केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि साल 2014 से साल 2022 तक के मोदी सरकार के शासन काल में 1 लाख से ज्यादा किसानों ने देश भर में आत्महत्या की है। जबकि केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि मंत्रालय को कृषि क्षेत्र के लिए आवंटित 1 लाख 5 हजार 5 सौ 44 करोड़ रुपए बिना खर्च किए वापस लौटा दिए। Budget 2024-25

इसी प्रकार से केंद्र सरकार ने कृषि के लिए आवंटित रुपए में से कृषि मंत्रालय को 2018-19 में 21 हजार 43 करोड़ 53 लाख रुपए, साल 2019-20 में 34 हजार 5 सौ 17 करोड़ 70 लाख रुपए, साल 2020-21 में 23 हजार 8 सौ 24 करोड़ 23 लाख रुपए, साल 2021-22 में 5 हजार 1 सौ 52 करोड़ 60 लाख रुपए और साल 2022-23 में 21 हजार 5 करोड़ 13 लाख रुपए वापस किए। क्या इन रुपयों को कृषि हितों के लिए इस्तेमाल करने का सरकार का फर्ज नहीं बनता था? Budget 2024-25

Farmers Announcement No MSP No Vote

दरअसल, सरकार को चाहिए कि अगर वो वाकई किसानों को खुश करना चाहती है, तो उन्हें एमएसपी की गारंटी दे और उनकी फसलों का खरीद के समय ही तत्काल भुगतान करने का बंदोबस्त करे, जिससे किसानों को ऋण लेने की आवश्यकता ही न हो और वो इस ऋण के भंवर जाल से बाहर निकल सकें। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च 2023 तक देश के किसानों पर करीब 8.85 लाख करोड़ रुपए का ऋण बकाया था। एनएसएस की साल 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदुस्तान के किसानों पर करीब 50.20 फीसदी ऋण इस साल तक था, जिसमें से करीब 69.6 फीसदी ऋण किसानों ने संस्थागत स्रोतों से लिया था, जिसका उन्हें भारी भरकम ब्याज चुकाना पड़ता है। Budget 2024-25

केंद्र की मोदी सरकार ने ऐसे परिवारों को औपचारिक क्रेडिट नेटवर्क के तहत लाने का लक्ष्य रखते हुए उन्हें ऋणी बनाए रखने का ही काम किया है, जबकि उसे ऋणी किसान परिवारों को इस दलदल से बाहर निकालना चाहिए था। पिछले सालों में कई बार ऐसी खबरें सामने आईं कि केंद्र की मोदी सरकार ने उद्योगपतियों के सिर पर ऋण के रूप में जो लाखों करोड़ रुपए थे, वो माफ कर दिए, जबकि किसानों से उनका ऋण माफ करने का वादा था, वो नहीं किया गया। बहरहाल, अगर हम अपने किसानों की बात करें, तो उन्हें तो किसी तरह की मुफ्त योजनाओं और ऋण की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, बशर्ते उनकी फसलों का मुनासिब भाव उन्हें तत्काल नकदी या बैंक खाते में दे दिया जाए। Budget 2024-25

(लेखक दैनिक भास्कर के राजनीतिक संपादक हैं)

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