Loksabha Chunav 2024

Loksabha Chunav 2024 : कमल के क्यों नहीं हो पाए, पूर्व सीएम कमलनाथ ?

Loksabha Chunav 2024 : कमल के क्यों नहीं हो पाए, पूर्व सीएम कमलनाथ ?

Published By Roshan Lal Saini

Loksabha Chunav 2024 : देश में होने वाले चुनावी संग्राम में बहुत कम समय बचा है, ज़ाहिर है इलेक्ट्रॉल बांड पर रोक लग गई है। हालांकि वह बात अलग है कि कुछ जानकारों का मनना है कि अब इसका उतना फायदा नहीं होगा, जितना दो साल पहले रोक लगने से होता। क्योंकि चुनाव के लिए बचा समय सभी पार्टियों के सामने कम ही दिख रहा होगा, क्योंकि भाजपा को छोड़कर बाकी पार्टियों की तैयारी उतनी मजबूत और ग्राउंड पर नहीं दिख रही है।

एक तरफ भाजपा 400 प्लस का टारगेट लेकर पिछले एक-डेढ़ साल से चुनावी रणनीति तैयार कर रही है और वो हर दिन अपनी रणनीति को मजबूत करने के लिए हर हथकंडा अपना रही है, तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल, जिन्होंने इंडिया गठबंधन बनाकर एक साथ भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए यह चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन वो चुनावों में आधी-अधूरी तैयारी के अलावा बिखरते दिख रहे हैं। हर दिन गठबंधन की कोई नई दरार बन जाती है। वहीं भाजपा कांग्रेस और दूसरी पार्टियों के मजबूत नेताओं को अपने साथ मिलाने के मिशन में भी लगी है। Loksabha Chunav 2024

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फाइल फोटो : पूर्व सीएम कमलनाथ

हालांकि राजनीति के कुछ जानकार कह रहे हैं कि भाजपा 400 प्लस का हौवा बनाकर विपक्ष को दबाव में लेना चाहती है, असल में उसके लिए भी यह चुनाव कम मुश्किल नहीं है, क्योंकि ये चुनाव भाजपा के लिए साल 2014 और साल 2019 से भी भारी पड़ रहा है, जिसकी वजह उसके खिलाफ चौतरफा उभर रहा विरोध है। ऐसे में भाजपा यह भी सोच रही है कि अगर वह 400 प्लस का आंकड़ा ना भी छू सकी, तो 370 का आंकड़ा ही छू ले, जिससे उसकी फुल मैज्योरिटी से एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली लगातार तीसरी बार सरकार बन सके। Loksabha Chunav 2024

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बहरहाल, मेरी राजनीतिक समझ ये कहती है कि लोकसभा की 370 सीटें जीतने का लक्ष्य भी कोई छोटा लक्ष्य नहीं है। इतना बड़े लक्ष्य के लिए हर राज्य की हर सीट के हर बूथ पर हर वोट की कीमत को समझते हुए उसे अपने हक में करने की कोशिश करनी होगी। भाजपा की केंद्रीय नेतृत्व वाली टीम, जिसमें खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हैं, राम मंदिर से लेकर हर छोटे-बड़े काम को इनकैश करने की पूरी कोशिश करेंगे और साथ ही केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ उठ रही आवाजों को दबाने की पूरी कोशिश करेंगे। क्योंकि वो जानते हैं कि अगर इस बार कहीं थोड़ी भी चूक रह गई, तो बाजी पलट सकती है, और फिर उसके बाद स्थितियां-परिस्थितियां कुछ और होंगी। Loksabha Chunav 2024

हालांकि ज्यादातर लोग ये मानकर चल रहे हैं कि इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की केंद्र की सरकार में वापसी हो रही है और वो भी ठीकठाक सीटों के साथ। कई तो विरोधी भी यही मान रहे हैं और अभी तक के सर्वे भी इसी ओर इशारा करते दिख रहे हैं।राजनीति के कुछ जानकार कह रहे हैं कि अपने 400 प्लस के आंकड़े को छूने के लिए ही भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कई दिग्गज कांग्रेसी नेताओं को अपने खेमे में लाने की तमाम कोशिश ऑपरेशन लोटस चलाकर कर रही है। लेकिन दूसरी तरफ उसे डर है कि अंदरखाने ही बगावत ना हो जाए, और इसका नतीजा ये ना निकले कि एक तरफ जोड़ने पर दूसरी तरफ से जीत की माला का धागा टूटने लग जाए। Loksabha Chunav 2024

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हालांकि ऐसा लगता नहीं है, क्योंकि हम सब जानते हैं कि जिधर सत्ता होती है, उधर विरोध कम होता है। लेकिन भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा कांग्रेसी नेताओं को अपने खेमें में लाने की मुहिम में मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेता कमलनाथ को भाजपा में लाने में झोल लग रहे हैं। कमलनाथ के भाजपा में आने के बीच अब खबरें हैं कि उनके कांग्रेस छोड़कर जाने पर विराम लग सकता है। लेकिन दूसरी तरफ एक खबर ये भी है कि कमलनाथ ने अपने दिल्ली वाले घर पर से पहले भगवा झंडा हटाया और फिर लगा दिया। अब इसके पीछे क्या राज है, कमलनाथ ही बेहतर जानें। Loksabha Chunav 2024

वरिष्ठ पत्रकार उमाशंकर सिंह कहते हैं कि कमलनाथ के आने से हो सकता है कि मध्य प्रदेश में भाजपा को कुछ सीटों के कुछ बूथों पर कुछ वोटों का फायदा हो जाए, लेकिन ये भी एक सत्य है कि हाल ही में कमलनाथ के नेतृत्व में लड़े गए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा धूल चटा चुकी है, जबकि उसके जीतने के पूरे आसार बताए जा रहे थे। और अब अगर कमलनाथ भाजपा में आए, तो जो फायदा होगा, उसके मुकाबले भाजपा को परसेप्शन का बहुत बड़ा नुकसान होगा, जो न सिर्फ़ घरेलू स्तर पर होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होगा। क्योंकि जिन कमलनाथ पर सिख विरोधी दंगों में शामिल होने के आरोप हैं और जिनके खिलाफ भाजपा के कई नेता, खासतौर पर सिख नेता आज भी मुखर हैं, उन कमलनाथ को भाजपा में लेने से पंजाब में भाजपा को खुद खड़ा करने में मुश्किल होगी। Loksabha Chunav 2024

पहले ही वहां आम आदमी पार्टी का कब्जा है और भाजपा उससे वहां मैदान छीनने की कोशिश में है, जिस पर पानी फिर जाएगा। कांग्रेस से आए सुनील जाखड़ और अमरिन्दर सिंह जैसे नेताओं के जरिए भाजाप अपनी थोड़ी-बहुत जमीन बनाने की कोशिश में पंजाब में है, और किसान आंदोलन पहले से ही भाजपा के लिए पंजाब में एक बड़ी चुनौती पैदा कर चुका है। Loksabha Chunav 2024

ऐसे में कमलनाथ अगर भाजपा में आए, तो उनका चेहरा कमल को खिलने से पहले ही मुरझा देने की सूरतेहाल पैदा कर सकता है। और न सिर्फ़ पंजाब में, बल्कि दिल्ली में भी पंजाबी बहुल इलाकों की सीटों पर भाजपा को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। वो वोट जो कमलनाथ की वजह से कांग्रेस से छिटके हुए हैं, उनके भाजपा से भी छिटकने का खतरा पैदा हो सकता है। Loksabha Chunav 2024

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दरअसल, अभी दिल्ली, जो कि देश की राजधानी है, में भले ही भाजपा राज्य सरकार के स्तर पर नहीं आ पा रही है, लेकिन वहां की 7 लोकसभा सीटों पर भाजपा का ही कब्जा है। लेकिन अगर दिल्ली की ये सीटें भाजपा के हाथ से खिसकीं, तो इसका बहुत खराब असर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर, खासतौर पर प्रधानमंत्री मोदी की छवि पर सीधा पड़ेगा। कमलनाथ को लेकर भाजपा के बीजेवाईएम नेशनल सेक्रेटरी के इंचार्ज तेजिंदर बग्गा ने एक ट्विटर हैंडल एक्स @TajinderBagga पर एक बयान के ज़रिए बहुत कुछ कह दिया है। उनका इशारा सीधे-सीधे कमलनाथ के विरोध को जाहिर करता है। और तो और कमलनाथ को भाजपा में लेने से उन देशों में भी अनु गूंज होगी। Loksabha Chunav 2024

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जहां बड़ी तादाद में सिख रहते हैं, जैसे कि कनाडा जहां पन्नू जैसा खालिस्तानी पहले से ही सिख समुदाय को बरगलाने में लगा है। याद रहे कि भाजपा अभी सिर्फ़ एक पार्टी नहीं, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सत्तारूढ़ दल है, जिसकी एक भी गलती पार्टी से लेकर उन तक को भारी पड़ सकती है। यही वजह है कि अब इस पड़ाव पर आकर और तीसरी बार केंद्र की सत्ता में आने की कोशिश में लगी भाजपा का हर कदम बहुत सोच-समझकर केंद्रीय नेतृत्व रख रहा है। Loksabha Chunav 2024

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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