Loksabha Election 2024

Loksabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव के मद्देनजर क्या कहता है यूपी का सियासी गणित ?

Loksabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव के मद्देनजर क्या कहता है यूपी का सियासी गणित ?

Published By Special Desk News14Today..

Loksabha Election 2024 : जैसे-जैसे मौसम गर्म होता जा रहा है, उसके साथ-साथ सियासी पारा भी चढ़ता जा रहा है। इसकी वजहें तो कई हैं, लेकिन सबसे बड़ी वजह है, हिंदुस्तान में होने वाले लोकसभा चुनाव, जो कि अप्रैल के तीसरे हफ्ते से शुरू हो जाएंगे। ऐसे में पूरे देश की नजरें उत्तर प्रदेश पर टिकी हैं, जहां भाजपा समेत सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक रखी है।

एक तरफ जहां भाजपा सभी 80 सीटों पर जीतने का दावा करके हर सीट पर पूरा जोर लगा रही है और ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दे रही है, जिन्हें जनता के बीच प्रचार करके पहचान बताने की बहुत जरूरत नहीं है। वहीं दूसरी पार्टियां भी हर सीट पर सोच-समझकर अपने उम्मीदवार उतार रही हैं। एक तरफ जहां भाजपा ने सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, तो वहीं अभी कांग्रेस, सपा और बसपा जैसी बड़ी पार्टियां इस मामले में थोड़ी पीछे चल रही हैं।

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बहरहाल, राजनीतिक पार्टियां देश के इस सबसे अहम चुनाव में शह और मात का खेल खेलने के लिए तकरीबन तैयार हैं। इस बार विपक्षी इंडिया गठबंधन से लेकर बसपा तक भाजपा को उसके हिंदुत्व कार्ड से ही मात देने की कोशिश में हैं। क्योंकि हिंदुत्व कार्ड खेलने वाली भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस, सपा और बसपा जैसी पार्टियां भी ज्यादातर सीटों पर हिंदू उम्मीदवारों को मैदान में उतार रही हैं। हालांकि भाजपा ने उत्तर प्रदेश में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। लेकिन पहले के मुकाबले कांग्रेस, सपा और बसपा ने भी कम ही मुस्लिम उम्मीदवारों मैदान में उतारा है। Loksabha Election 2024

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इन पार्टियों ने मुस्लिम बहुल इलाकों में ही मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। चाहे वो पश्चिमी उत्तर प्रदेश हो, चाहे मध्य उत्तर प्रदेश हो या फिर चाहे पूर्वी उत्तर प्रदेश हो। पूरे उत्तर प्रदेश में भले ही 20-21 फीसदी मुस्लिम आबादी ही हो, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कहीं 25, कहीं, 30, तो कहीं 50 फीसदी तक मुस्लिम रहते हैं। और उत्तर प्रदेश की इस महत्वपूर्ण कमाऊ बेल्ट में मुस्लिम कई सीटों के अलावा पूर्वांचल की कुछ सीटों पर हार-जीत का फैसला करने की हैसियत रखते हैं, चाहे वो विधानसभा चुनाव हों या फिर चाहे लोकसभा के चुनाव हों। बावजूद इसके कांग्रेस, सपा और बसपा का पहले की अपेक्षा कम से कम मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देना काफी हैरान करने वाला है, खास तौर पर एमवाई फैक्टर वाली सपा का मुस्लिम उम्मीदवारों पर न के बराबर दांव खेलना काफी चौंकाने वाला है। Loksabha Election 2024

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हालांकि ये भी एक अच्छी रणनीति साबित हो सकती है। क्योंकि जहां मुस्लिम वोटर ज्यादा हैं, वहां पर कांग्रेस, सपा और बसपा, तकरीबन तीनों ही पार्टियां मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दे दिया करती थीं। इससे मुस्लिम वोट बंट जाते थे और तकरीबन 60-70 फीसदी हिंदू वोटर भाजपा को वोटिंग कर देता था, जिससे दूसरी पार्टी के उम्मीदवार को जीत बमुश्किल ही मिल पाती थी। अब अगर ये पार्टियां हिंदू उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारेंगी, तो जाहिर है भाजपा का वोट बैंक कम होगा, क्योंकि भाजपा को लेकर जो नाराजगी लोगों में बढ़ रही है, उससे हिंदू वोटर भी अब एक बार फिर दूसरी पार्टियों की तरफ देखने लगा है। वहीं मुस्लिम वोटर तो पहले ही भाजपा को वोट नहीं करेगा। ऐसे में जहां मुस्लिम आबादी चुनावी आंकड़े बदलने की हैसियत रखती है, वहां उसके बंटने की उम्मीद कम है और भाजपा को एकतरफा हिंदू वोट भी नहीं मिल सकेगा, जिससे उसके उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ सकता है। Loksabha Election 2024

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बहरहाल, अगर हम सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने वाली पार्टी की बात करें, तो वो अभी तक बसपा है, जिसने 7 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। वहीं सपा ने इस बार अभी तक सिर्फ 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है। इसके अलावा कांग्रेस ने सिर्फ 2 मुस्लिम उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है। इस प्रकार मुस्लिम कार्ड खेलने से अगर कोई पार्टी सबसे ज्यादा बची है, तो वो सपा है। इस प्रकार से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना बेल्ट मुजफ्फरनगर की लोकसभा सीट पर देखें, तो यहां मुस्लिम और जाट ही चुनाव में जीत और हार का फैसला करते हैं। इस बार मुजफ्फरनगर से भाजपा ने जाट वोट बैंक को अपने पाले में खींचने की उम्मीद में तीसरी बार फिर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान पर दांव खेला है। वहीं सपा ने भी इस क्षेत्र के कद्दावर और पुराने जाट नेता हरेंद्र मलिक को उनके मुकाबले में उतारते हुए बड़ा दांव चल दिया है। Loksabha Election 2024

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इसके अलावा बसपा ने दारा सिंह प्रजापति को अपना उम्मीदवार यहां से नियुक्त किया है। इससे पहले कई बार सपा और बसपा यहां से मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारती रही हैं। यहां से कई बार मुस्लिम सांसद रहे हैं। इसी प्रकार से बागपत की सीट पर भी, जहां करीब 26-27 फीसदी मुस्लिम आबादी है, वहां भाजपा के साथ गठबंधन करके एनडीए का हिस्सा बन चुकी आरएलडी ने राजकुमार सांगवान पर दांव खेला है, हालांकि पहले माना जा रहा था कि यहां से जयंत चौधरी खुद या अपने परिवार के किसी सदस्य को चुनाव लडडा सकते हैं लेकिन उन्होंने राजकुमार सांगवान को रालोद का  उम्मीदवार बनाकर एक नया समीकरण बनाने की कोशिश की है। सपा रालोद गठबंधन टूटने के बाद गुस्साए आसपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मनोज चौधरी और बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रवीण बंसल को टिकट देकर रालोद को चुनौती दी है। Loksabha Election 2024

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अब मेरठ की सीट को देखें, तो यहां तकरीबन 35 से 37 फीसदी मुस्लिम मतदाता है, जहां पर इस बार भाजपा ने रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को मैदान में उतारा है। लेकिन सपा ने यहां से पहले भानू प्रताप सिंह को टिकट दिया लेकिन विरोध होने पर अपनी पार्टी के पुराने कार्यकर्ता पूर्व विधायक अतुल प्रधान को अपना उम्मीदवार बनाया है। सपा के इस निर्णय ने भाजपा के आगे चुनौती खड़ी कर दी है। वहीं बसपा ने भी देववृत त्यागी को मैदान में उतारकर भाजपा के ब्राह्मण वोट बैंक में सेध लगाने की चाल चल दी है। जबकि मेरठ से पहले सपा और बसपा मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारती रही हैं। Loksabha Election 2024

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वहीं बिजनौर लोकसभा सीट पर भी करीब 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं, लेकिन यहां से भी रालोद के उम्मीदवार चंदन चौहान को मात देने की कोशिश करते हुए सपा ने दीपक सैनी, तो बसपा ने चौधरी बिजेंद्र सिंह पर दांव खेला है। इसी प्रकार से बरेली लोकसभा सीट, जहां कुर्मी मतदाताओं की संख्या दूसरी सभी जातियों से ज्यादा है, लेकिन करीब 58 फीसदी हिंदू आबादी के मुकाबले पर 30 फीसदी मुस्लिम आबादी भी है, इस सीट पर भाजपा ने इस बार अपने पुराने नेता और कई बार लोकसभा सीट पर भारी वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचने वाले संतोष गंगवार का टिकट काटकर इस बार छत्रपाल गंगवार के चेहरे पर दांव खेला है, लेकिन वहीं सपा ने पुराने कद्दावर नेता प्रवीण ऐरन को अपना उम्मीदवार बनाया है। Loksabha Election 2024

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इसके अलावा बसपा ने अभी तक यहां से किसी नाम की घोषणा नहीं की है। लखीमपुर खीरी सीट पर, जहां पिछले किसान आंदोलन में भाजपा के लोकसभा सांसद अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा ने किसानों पर गाड़ी चढ़ाकर चार किसानों और एक पत्रकार की जान ले ली थी, वहां पर भाजपा ने तीसरी बार फिर से अजय मिश्रा टेनी को ही उम्मीदवार बनाया है। वहीं सपा और बसपा ने भी हिंदू उम्मीदवारों पर ही दांव खेला है। इसी प्रकार पहले बलरामपुर के नाम से जानी जाने वाली श्रावस्ती लोकसभा सीट पर, जहां करीब 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है, वहां पर भाजपा और सपा ने जहां यादव उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, वहीं बसपा ने अभी अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। Loksabha Election 2024

कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश की कुल 7 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर 40 फीसदी से भी ज्यादा हैं, जबकि करीब 9 लोकसभा सीटों वाले इलाकों में करीब 26 से 40 फीसदी मुस्लिम आबादी है। बावजूद इसके सपा, बसपा और कांग्रेस ने कम ही मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव खेला है। बहरहाल, इस बार के चुनाव जो दिलचस्प चीज दिखाई दी है वह है कि बाहुबलियों पर दांव खेलने से ज्यादातर पार्टियां बचती नजर आ रही हैं। दरअसल, ज्यादातर बाहुबली नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज हैं और उनकी छवि तो जनता के बीच खराब है, ऐसे में कोई भी पार्टी उन्हें मैदान में उतारकर रिस्क नहीं लेना चाहती। Loksabha Election 2024

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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