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Gyanvapi Case News : व्यास जी तहखाने की सुनवाई के बाद हिन्दू पक्ष में आया फैसला, हिन्दुओं को पूजा का मिला धिकार

Gyanvapi Case News : व्यास जी तहखाने की सुनवाई के बाद हिन्दू पक्ष में आया फैसला, हिन्दुओं को पूजा का मिला धिकार

Published By Roshan Lal Saini

Gyanvapi Case News : ज्ञानवापी मामले में बुधवार को वाराणसी जिला अदालत का ऐतिहासिक फैसला आया है। अदालत ने व्यास जी तहखाने पर बहस के बाद ह‍िंदू पक्ष में फैसला सुनाया है. फैसले में अदालत ने ह‍िंदू पक्ष को व्यास जी के तहखाना में पूजा करने का अधि‍कार दे द‍िया है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि व्यास जी तहखाना में पूजा सात दिनों के भीतर शुरू होगी। सभी हिन्दुओं को पूजा करने का अधिकार होगा. व्यासजी का तहखाना सन 1993 से बंद चल रहा था.

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आपको बता दें कि बीते बुधवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक की थी. रिपोर्ट के मुताबिक ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर पाया गया था. रिपोर्ट और साक्ष्यों के आधार पर इस मामले में अदालत ने ह‍िंदू पक्ष में फैसला सुनाया है। हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि “हम इलाहाबाद हाई कोर्ट में कैविएट फाइल करेंगे। अगर कोर्ट इसकी सुनवाई करेगा तो हम वहां पर तैयार रहेंगे” Gyanvapi Case News
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गौरतलब है कि ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तहखाना को जिलाधिकारी को सौंपने व उसमें पूजा-पाठ का अधिकारी देने की मांग को लेकर पं. सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक की ओर से दाखिल मुकदमे में जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने मंगलवार को आदेश सुरक्षित रख लिया था. शैलेंद्र कुमार पाठक की ओर से 25 सितंबर 2023 को वाद दाखिल कर दावा किया गया था कि ज्ञानवापी के दक्षिण की ओर से मौजूद इमारत में तहखाना है. यह प्राचीन मंदिर के मुख्य पुजारी व्यास परिवार की मुख्य गद्दी है. इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि वंशानुगत आधार पर पुजारी व्यास जी ब्रिटिश शासनकाल में भी वहां काबिज थे और दिसंबर 1993 तक वहां पूजा-अर्चना की है। वहां हिंदू धर्म की पूजा से संबंधित सामग्री बहुत सी प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व की अन्य सामग्री वहां मौजूद हैं. Gyanvapi Case News
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क्या है पूरा मामला 
ज्ञानवापी विवाद को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि इसके नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है. काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को तुड़वा दिया। दावे में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर उसकी भूमि पर किया गया है जो कि अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है. याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष है या नही. साथ ही विवादित ढांचे का फर्श तोड़कर ये भी पता लगाया जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ भी वहां मौजूद हैं या नहीं. Gyanvapi Case News
मस्जिद की दीवारों की भी जांच कर पता लगाया जाए कि ये मंदिर की हैं या नहीं. याचिकाकर्ता का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ था. इन्हीं दावों पर पर अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) से सर्वे करवाया था. बीते बुधवार को एएसआई की यह सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई. काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस में 1991 में वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा दाखिल हुआ था. याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई. प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इसमें शामिल हैं. Gyanvapi Case News
मुकदमा दाखिल होने के कुछ महीने बाद सितंबर 1991 में केंद्र सरकार ने पूजा स्थल कानून बना दिया. ये कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है. अयोध्या का मामला उस वक्त कोर्ट में था इसलिए उसे इस कानून से अलग रखा गया था. लेकिन ज्ञानवापी मामले में इसी कानून का हवाला देकर मस्जिद कमेटी ने याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी. Gyanvapi Case News
1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया था.
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी मामले में स्टे ऑर्डर की वैधता केवल छह महीने के लिए ही होगी. उसके बाद ऑर्डर प्रभावी नहीं रहेगा.
इसी आदेश के बाद 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई 2021 में वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दे दी.
आदेश में एक कमीशन नियुक्त किया गया और इस कमीशन को 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए गए. 10 मई तक अदालत ने इसे लेकर पूरी जानकारी मांगी थी.
छह मई को पहले दिन का ही सर्वे हो पाया था, लेकिन सात मई को मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया। मामला कोर्ट पहुंचा.
12 मई को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने कमिश्नर को बदलने की मांग खारिज कर दी और 17 मई तक सर्वे का काम पूरा करवाकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि जहां, ताले लगे हैं, वहां ताला तुड़वा दीजिए. अगर कोई बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई करिए, लेकिन सर्वे का काम हर हालत में पूरा होना चाहिए.
14 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया. याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई थी. शीर्ष अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने से इनकार करते हुए कहा था कि हम बिना कागजात देखे आदेश जारी नहीं कर सकते हैं. अब मामले में 17 मई को सुनवाई होगी.
14 मई से ही ज्ञानवापी के सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ. सभी बंद कमरों से लेकर कुएं तक की जांच हुई. इस पूरे प्रक्रिया की वीडियो और फोटोग्राफी भी हुई.
16 मई को सर्वे का काम पूरा हुआ.  हिंदू पक्ष ने दावा किया कि कुएं से बाबा मिल गए हैं. इसके अलावा हिंदू स्थल होने के कई साक्ष्य मिले। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कहा कि सर्वे के दौरान कुछ नहीं मिला. हिंदू पक्ष ने इसके वैज्ञानिक सर्वे की मांग की. मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया.
21 जुलाई 2023 को जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की मांग को मंजूरी देते हुए ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दे दिया.
24 जनवरी 2024 को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया. जिला जज ने वादी पक्ष को सर्वें रिपोर्ट दिए जाने का आदेश दिया.
25 जनवरी 2024 को रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई. रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला है. इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई.
31 जनवरी 2024 को वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी.

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