हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम के हाथ लगी बड़ी सफलता

चंडीगढ़, 2 फरवरी। हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने सहकारिता विभाग द्वारा संचालित एकीकृत सहकारी विकास परियोजना में 100 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले को पकड़ने में सफलता प्राप्त की है।
ब्यूरो ने इस मामले में 10 वरिष्ठ अधिकारियों तथा 4 निजी व्यक्तियों की गिरफ्तारी करते हुए उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाया गया।
इस बारे में जानकारी देते हुए सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि ब्यूरो की टीम के संज्ञान में मामला आया था  जिसकी पड़ताल करने पर इस घोटाले का उजागर हुआ। उन्होंने बताया कि सहकारिता विभाग के सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति, जिला रजिस्ट्रार सहकारी समिति द्वारा ऑडिट की मिली भगत से सरकारी खाते में जमा राशि से अपने निजी हित में फ्लैट तथा जमीन आदि खरीदी जा रही थी। इन अधिकारियों द्वारा सरकारी रिकॉर्ड, बैंक खातों संबंधी विवरण आदि भी सरकारी रिकॉर्ड में जाम लगाया गया था। इस पूरे मामले में एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के नाम पर लगभग 100 करोड़ रुपए का गबन सामने आया है। सभी आवश्यक सबूत जुटाते हुए मामले की गहनता से जांच पड़ताल की जा रही है। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ करनाल तथा अंबाला रेंज में विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने मामले की गहनता से जांच करते हुए इसमें लिप्त 6 राजपत्रित अधिकारियों, आईसीडीपी रेवाड़ी के 4 अन्य अधिकारियों तथा 4 निजी व्यक्तियों की गिरफ्तारी की है। इन आरोपियों में ऑडिट ऑफीसर बलविंदर, डिप्टी चीफ ऑडिटर योगेंद्र अग्रवाल, जिला रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, करनाल रोहित गुप्ता, सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति(एआरसीएस) अनु कोशिश ,रामकुमार, जितेंद्र कौशिक, कृष्ण बेनीवाल को गिरफ्तार किया है इसी प्रकार इसी विभाग के आईडीपी रेवाड़ी के लेखाकार सुमित अग्रवाल डेवलपमेंट अधिकारी नितिन शर्मा तथा विजय सिंह की गिरफ्तारी की गई है। इस मामले में चार निजी व्यक्तियों स्तालिन जीत, नताशा कौशिक, सुभाष तथा रेखा को गिरफ्तार किया गया है।

गौरतलब है कि सहकारिता विभाग हरियाणा द्वारा एकीकृत सहकारी विकास परियोजना संचालित की जा रही है। इस परियोजना के तहत ग्रामीण तथा कृषि क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करते हुए विकास कार्य करवाए जाते हैं और सहकारी समितियों को विकसित किया जाता है।

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