Westren UP Politics

Westren UP Politics : क्या जातिगत चुनाव से नहीं निकल पा रहा पश्चिमी उत्तर प्रदेश ?

Westren UP Politics : क्या जातिगत चुनाव से नहीं निकल पा रहा पश्चिमी उत्तर प्रदेश ?

Published By Roshan Lal Saini

Westren UP Politics : लोकसभा से लेकर विधानसभा तक के चुनावों में उत्तर प्रदेश पर पूरे देश की नजर रहती है, लेकिन उत्तर प्रदेश की नजर पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर रहती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उत्तर प्रदेश की इस बेल्ट में चुनावों का जो रुख रहता है, तकरीबन वही रुख पूरे उत्तर प्रदेश का रहता है। हरित क्षेत्र और चीनी बेल्ट के नाम से प्रसिद्ध पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनावी दंगल का नजारा ही कुछ ऐसा होता है कि इस इलाके के वोटरों को साधने में हर नेता लगा रहता है।

क्योंकि मुद्दों पर वोटिंग करने वाले सबसे ज्यादा लोग इसी बेल्ट में रहते हैं। लेकिन फिर भी इस बेल्ट के लोग अभी तक जातिवाद और धर्मवाद से ऊपर उठकर आज तक वोटिंग नहीं कर सके हैं। इस बार भी ऐसा ही कुछ लग रहा है कि तमाम मुद्दे होने के बावजूद कुछ वोटर या कहें कि ज्यादातर वोटर जातिवाद और धर्मवाद से ऊपर उठकर वोटिंग करने को राजी नहीं हैं।

Westren UP Politics

ये भी पढ़िए … दलित-मुस्लिम गठजोड़ मजबूत कर गई मायावती, कांग्रेस-भाजपा को बताया दलित विरोधी 

बहरहाल, अगर जातिगत आधार पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनाव पर नजर डालें, तो यहां की कई लोकसभा सीटें जातिगत समीकरण में उलझी हुई नजर आती हैं। जातिगत आधार पर वोटरों को साधने के चलते ही ज्यादातर पार्टियों ने कहीं-कहीं तो एक ही जाति के लोगों को खड़ा कर दिया है। इसी के चलते तकरीबन सभी प्रमुख पार्टियों में इस बार कड़ा मुकाबला होने के आसार नजर आ रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के जमीनी जानकार और स्थानीय लोगों का कहना है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2017 और 2022 तक के विधानसभा चुनावों तक में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अधिकांश सीटें भाजपा ने जीती हैं। Westren UP Politics

ये भी देखिये …  हाथी के साथी नहीं रहे अब दलित, मायावती पर जमकर बरसे

हालांकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के गठबंधन ने बिजनौर, नगीना और सहारनपुर जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार इन दोनों में गठबंधन नहीं है और जयंत चौधरी अपनी पार्टी आरएलडी का एनडीए से गठजोड़ कर चुके हैं। लेकिन इतने पर भी पिछली बार भाजपा द्वारा जीती हुई कई सीटों पर विपक्षी पार्टियां टक्कर देती नजर आ रही हैं, खास तौर पर मुजफ्फरनगर, बिजनौर और मेरठ की लोकसभा सीटों पर भाजपा, बसपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है। Westren UP Politics

ये भी देखिये …

ये भी पढ़िए … बसपा प्रत्याशी के भाई ने मदरसों को बंद करने की पीएम मोदी से की अपील, सेलिब्रिटी कमाल आर खान के भाई की बढ़ गई मुश्किलें

दरअसल, पिछले चुनावों में भाजपा ने हिंदू कार्ड खेलकर चुनावों में जीत हासिल की है, लेकिन इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा भी हिंदू कार्ड खेल रही हैं। राम मंदिर निर्माण का जादू भी भाजपा के लिए बहुत बड़ा कोई जादू नहीं करता दिख रहा है, लेकिन जातिवाद का पत्ता खूब चलेगा, ऐसा लगता है। लेकिन भाजपा की मुश्किल ये है कि उसके द्वारा खड़े किए गए कई उम्मीदवारों के सामने सपा और कहीं-कहीं बसपा ने भी उसी जाति के उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं, जिस जाति के उम्मीदवार भाजपा ने उतारे हैं। दूसरी तरफ मुस्लिम वोटर अभी पूरी तरह खामोश हैं, और वो इंतजार कर रहे हैं वोटिंग की तारीख का।

राजनीति के कुछ जानकारों का कहना है कि अगर हिंदू वोटर बंटा और मुसलमान सपा या बसपा के साथ चला गया, तो भाजपा को पिछली बार की जीती हुई सीटें बचाना भी मुश्किल हो जाएगा, उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतना तो दूर की बात है। हालांकि भाजपा के पास मुसलमानों को छोड़कर सभी जातियों को साधने के लिए कुछ बड़े चेहरे अपनी पार्टी में रखे हुए हैं, जिनके दम पर वो जीतने की सोच रही है। कुछ राजनीतिक कह रहे हैं कि मुस्लिम वोटरों को काटने के लिए भाजपा ओवैसी जैसे लोगों का सहारा लेगी, जैसा कि उसने पिछले चुनावों में भी किया है। Westren UP Politics

ये भी देखिये … योगी को आई इमरान मसूद की याद, बोल गए बड़ी बात

अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जातियों की बात करें, तो यहां जाट, मुस्लिम, ब्राह्मण, ठाकुर, प्रजापति और कई पिछड़ी जातियों समेत कई दलित जातियां निवास करती हैं। भाजपा को जाट समाज से फिर उम्मीदें हैं। हालांकि जाटों से की गई वायदाखिलाफी और किसानों की मांगें मानने की जगह उनकी आवाज को कुचलने की कोशिश से भाजपा के प्रति नाराजगी को बढ़ा दिया है। लेकिन भाजपा ने इस नाराजगी को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश और केंद्र की मोदी सरकार में जाट नेताओं को साध रखा है और अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आरएलडी को भी साध लिया। Westren UP Politics

ये भी पढ़िए … सोशल मीडिया के सहारे भाजपा को हराने की तैयारी में कांग्रेस, 9 जोन में बांटा उत्तर प्रदेश

बहरहाल, अगर हम मुजफ्फरनगर की लोकसभा सीट की बात करें, तो यहां से बसपा ने दलित और प्रजापति वोट बैंक का समीकरण साधने की कोशिश करते हुए यहां से दारा सिंह प्रजापति को अपनी तरफ से मैदान में उतारा है, जिससे भाजपा के प्रजापति जाति के कोर वोट बैंक में सेंध लगने की उम्मीद है। इस सीट पर प्रजापति वोटर बड़ी संख्या में हैं और दलित भी काफी हैं। सपा ने बसपा से भी एक कदम आगे बढ़ते हुए भाजपा के जाट नेता उम्मीदवार जाट नेता और दो बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के मुकाबले में हरेन्द्र मलिक को मैदान में उतारकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अगर 20 फीसदी जाट वोटर सपा यानि हरेन्द्र मलिक को वोटिंग करते हैं और कुछ पिछड़ों के साथ-साथ यादव और मुस्लिम सपा के लिए वोटिंग करते हैं, तो भाजपा का जीत पाना मुश्किल हो जाएगा। Westren UP Politics

ये भी देखिये …

इसी प्रकार से बागपत की लोकसभा सीट पर आरएलडी-भाजपा गठबंधन की तरफ से आरएलडी ने जाट नेता डा. राजकुमार सांगवान को मैदान में उतारा हुआ है। लेकिन यहां भी सपा-कांग्रेस गठबंधन की तरफ से सपा ने जाट कार्ड खेल दिया है और ब्राह्मण नेता अमरपाल शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है। उधर बसपा ने भाजपा से खिलाफ हो चुकी गुर्जर बिरादरी को साधने की कोशिश करते हुए गुर्जर नेता प्रवीण बैंसला को मैदान में उतारा है।

बागपत में करीब 28 फीसदी तो मुस्लिम वोटर ही हैं और करीब 22 फीसदी जाट वोटर हैं। ऐसे में यहां भी सपा भाजपा पर भारी पड़ सकती है। इसके अलावा करीब 10 फीसदी गुर्जर और 5-6 फीसदी दलित वोटर हैं। इस प्रकार बागपत सीट पर भी भाजपा को विपक्षी पार्टियों से कड़ी चुनौती मिल रही है। इसलिए यहां पर रालोद को जाटों के अलावा ब्राह्मण और वैश्य वोटरों को साधना पड़ेगा। कहा तो ये जा रहा है कि इस सीट से सपा अपना प्रत्याशी बदल सकती है। Westren UP Politics

ये भी पढ़िए …  भाजपा ने जारी किया “मोदी की गारंटी 2024” संकल्प पत्र, वन नेशन-वन इलेक्शन स्किम लाना पहली प्राथमिकता

कैराना लोकसभा सीट पर भी भाजपा, सपा और बसपा में कड़ा मुकाबला नजर आ रहा है। इस सीट पर भाजपा ने जहां गुर्जर नेता प्रदीप चौधरी दुबारा मैदान में उतारा है, तो वहीं सपा ने हसन परिवार से इकरा हसन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। लेकिन बसपा ने यहां भी भाजपा के वोटों की काट का तोड़ निकालने की कोशिश करते हुए ठाकुर जाति के नेता श्रीपाल राणा को उम्मीदवार बनाया है। बिजनौर लोकसभा सीट पर आरएलडी-भाजपा गठबंधन की तरफ से आरएलडी ने गुर्जर नेता चंदन चौहान मीरापुर को टिकट दिया है।

चंदन चौहान मीरापुर यहां से रालोद के विधायक हैं। लेकिन बसपा ने जाट-दलित और ओबीसी को साधने की कोशिश करते हुए चौ. विजेन्द्र सिंह को बिजनौर से मैदान में उतारा है। ये सीट साल 2019 में भी बसपा के खाते में गई थी। वहीं सपा ने बिजनौर लोकसभा सीट पर नूरपुर सीट से सपा विधायक रामअवतार सैनी के बेटे दीपक सैनी को मैदान में उतारकर जाटों समेत कई ओबीसी जातियों को साधने का दांव खेला है। Westren UP Politics

इसी प्रकार से मेरठ लोकसभा सीट पर भाजपा ने वैश्य चैहरा रामायण में राम का किरदार निभाने वाले कलाकार अरुण गोविल को मैदान में उतारकर जबरदस्त हिंदू कार्ड खेला है। लेकिन सपा ने भी इस कार्ड की काट के लिए पहले यहां के जमीनी नेता भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया था, बाद में गुर्जर नेता अतुल प्रधान और अंत में सुनीता वर्मा को टिकट देकर महिला दांव खेला है।

इसी प्रकार से सहारनपुर सीट से भाजपा ने राघव लखनपाल शर्मा को मैदान में उतारा है, तो सपा-कांग्रेस गठबंधन की तरफ से इमरान मसूद और बसपा की तरफ से माजिद अली मैदान में हैं। सहारनपुर में मुस्लिम वोटर ज्यादा हैं। लेकिन भाजपा के लिए ये राहत की बात हो सकती है कि मुस्लिम वोट बंट जाएंगे, लेकिन इस सीट पर यादव, पिछड़े और दलित वोटर भी काफी हैं। बहरहाल, देखना है कि किस सीट पर किसकी जीत होगी। फिलहाल सभी पार्टियां अपनी-अपनी गोटियां फिट करने में लगी हैं। Westren UP Politics

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

WWW.NEWS14TODAY.COM

Similar Posts