cm yogi in saharanpur
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UP Politics News : सीएम की कुर्सी और बढ़ता कद योगी के लिए बन रहा मुसीबत, जानिये क्यों नहीं खा रहे मात ?

UP Politics : 2017 के बाद जब साल 2022 में भी यूपी में बड़े बहुमत के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बने, तो उनके यूपी और दिल्ली के प्रतिद्वंद्वियों को पसीना आ गया और उसका रिएक्शन यह हुआ कि प्रदेश में न सिर्फ उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंदी केशव प्रसाद मौर्य को हार के बावजूद उप मुख्यमंत्री बनाया गया, बल्कि उनके और भी कई प्रतिद्वंद्वियों या ये कहें कि उन्हीं की पार्टी में उनके विरोधियों को कई प्रमुख मंत्रालय भी दिए गए और उनके करीबी माने जाने वाले दिनेश शर्मा को दोबारा उपमुख्यमंत्री नहीं बनने दिया गया। अब ऐसा लगता है कि ये प्रदेश सरकार और संगठन यानि पार्टी की लड़ाई बनती जा रही है या ये कहें कि इसे योगी आदित्यनाथ के कुछ विरोधियों ने ही इसे प्रदेश सरकार यानि योगी और संगठन की लड़ाई बना दिया है।

CM Yogi In Saharanpur

कुछ दिनों पहले केशव प्रसाद मौर्य ने कहा भी था कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस अंदरूनी झगड़े की फिरकी लेते हुए ही सही, लेकिन पिछले दिनों एक ऐसा सच बोला, जिसे समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि मौर्या जी (केशव प्रसाद मौर्य) सिर्फ़ एक मोहरा हैं और दिल्ली के वाईफाई के पासवर्ड हैं। भले ही इस बात से कई लोग इत्तेफाक न रखते हों, लेकिन इसमें जो इशारा अखिलेश यादव ने किया है, वो सभी राजनीति के जानकार अच्छी तरह से समझ रहे होंगे। UP Politics News

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बहरहाल, अब देखना ये है कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी की ये लड़ाई योगी आदित्यनाथ कैसे जीतते हुए अपना कद और सिर राजनीति में दोनों को ऊंचा रखेंगे, क्योंकि वो भी अब राजनीति के एक सुलझे हुए, ईमानदार और पहुंचे हुए खिलाड़ी बन चुके हैं और पिछले करीब सात साल से देश के सबसे ज्यादा सीटों वाले सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। लेकिन इससे पहले वो पांच बार सांसद रहकर केंद्र की राजनीति के पैंतरे भी देख और समझ चुके हैं। UP Politics News

संघर्ष से जीत का मंत्र जानने वाले योगी आदित्यनाथ के जीवन में राजनीतिक भूचाल कई बार आए हैं। लेकिन इस बार बात उनकी कुर्सी पर बन आई है। उनका मुख्यमंत्री पद और उनके बढ़ते हुए राजनीतिक कद ही उनके लिए मुसीबत बने हुए हैं। जाहिर है कि जब कोई व्यक्ति लगातार ऊंची उड़ान उड़ रहा हो, तो उसके पर कतरने के लिए ‌विरोधियों की कैचियां निकल ही आती हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। लेकिन राजनीतिक जंग के माहिर खिलाड़ी योगी आदित्यनाथ की रणनीति से सब हैरान और परेशान हैं कि आखिर वो किसी भी तरह से मात क्यों नहीं खा रहे हैं? UP Politics News

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दरअसल, राजनीतिक लड़ाई में इस बार देश के सबसे ज्यादा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ के लिए विपक्षियों से ज्यादा उनकी खुद की पार्टी के कुछलोग कथित तौर पर मुसीबत बनकर खड़े हुए हैं या ये कह सकते हैं कि उनके आगे बढ़ने के रास्ते का रोड़ा बनकर ही नहीं खड़े हुए हैं, बल्कि उन्हें राजनीति से दूर कर देने की कोशिशों में लगे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बचपन से ही दृढ़ संकल्पी हैं। जिस उम्र में बच्चे प्यार-व्यार के चक्कर में पड़ते हैं और इसके चलते न सिर्फ अपनी पढ़ाई चौपट कर लेते हैं, बल्कि कैरियर के प्रति भी बहुत कुछ नहीं सोच पाते, उस उम्र में योगी आदित्यनाथ संन्यास लेकर अपनी ही मां से भिक्षा मांगने पहुंच जाते हैं और आजीवन ब्रह्मचारी रहकर देश और हिंदू धर्म की सेवा का संकल्प ले लेते हैं। UP Politics News

मां के रोने-पीटने और भावुक अपील करने के बावजूद योगी आदित्यनाथ का दृढ़ संकल्प और उनकी ईश्वर के प्रति आस्था को जरा भी उनकी माता जी और परिवार के दूसरे लोग डिगा नहीं पाते हैं और वो संसार के कल्याण के रास्ते पर अडिग योगी की तरह अपने जोगियों के मठ गोरखधाम लौट आते हैं। योगी आदित्यनाथ ऐसे भी संत नहीं बने, जो संतबन गए और फिर समाज से दूर होकर सिर्फ फक्कड़ बनकर भगवान के भजन में लग गए और कुछ भी नहीं किया। इसके विपरीत योगी आदित्यनाथ ने संत व्रत लेकर भी अपने गुरु और मठ की सेवा के अलावा कठिन परिश्रम करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी और खुद को वेल एजुकेटेड बनाया। UP Politics News

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बहरहाल, जब वो कॉलेज में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब भी वो कमजोर और पीड़ित छात्रों के पक्ष में खड़े होकर उन्हें न्याय दिलाते थे। उनकी बचपन से न्याय करने और न्याय के पक्ष में आवाज उठाने की आदत ने ही आज उन्हें उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदुस्तान में प्रसिद्धि दिलाई है और लॉ एंड आर्डर के मामले में बेहद सख्त माने जाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बुलडोजर बाबा की ख्याति दिलाई है। एक बार कॉलेज में जब योगी आदित्यनाथ को पता चला कि एक दुकानदार ने उनके कॉलेज के एक छात्र के साथ अन्याय किया है और उसके ऊपर पिस्टल तान दी है, तब वो न्याय के लिए सबसे आगे बढ़कर दुकानदार के पास पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उल्टा छात्रों को गिरफ्तार करने का प्रयास किया, जिसके बाद छात्र योगी आदित्यनाथ एसएसपी के कार्यालय पहुंच गए और बेधड़क होकर अपनी बात रखते हुए न्याय की मांग की और फिर दुकानदार को गिरफ्तार करवाया। UP Politics News

इसके अलावा अन्य कई मौकों पर भी उन्होंने इस प्रकार की अन्यायपूर्ण घटनाओं में पीड़ित पक्ष का साथ दिया और उसे न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया। इसके बाद अपने गुरु जी महंत अवैद्यनाथ जी का आशीर्वाद लेकर राजनीति में कूद गए। योगी आदित्यनाथ अपने दृढ़ संकल्पों और न्याय के लिए जाने जाते हैं। एक बार जब वो ग्रेजुएशन के थर्डयीयर के एग्जाम की तैयारी कर रहे थे, तब उनके कमरे में चोरी हो गई और उनके पैसे, एग्जाम नोट्स सब चोरी हो गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एग्जाम दिया और अच्छे नंबरों से पास भी हुए। जब उनका राजनीतिक कैरियर शुरू हुआ, तो उन्होंने पहली ही बार में महज 26 साल की उम्र में लोकसभा का चुनाव जीतकर एक रिकॉर्ड कायम किया। लेकिन उनके राजनीति में आते ही कई राजनीतिक मुसीबतें जबरदस्ती उनके गले पड़ने आईं, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने उन सब मुसीबतों का डटकर सामना किया और हर परेशानी और राजनीतिक पैंतरों को मात देकर आगे बढ़ गए। UP Politics News

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2017 में जब उत्तर प्रदेश में भाजपा पूर्ण बहुमत से विधानसभा के चुनाव जीती, तो कई चेहरों पर मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा थी, लेकिन आखिरी तीन दिन पहले अचानक से मुख्यमंत्री पद के लिए एक नाम सामने आया, और वो नाम था योगी आदित्यनाथ का। हालांकि उन दिनों सबसे आगे जो नाम मुख्यमंत्री की दौड़ में था, वो था ओबीसी चेहरा माने जाने वाले संगठन से जुड़े हुए केशव प्रसाद मौर्य का। लेकिन जैसे ही योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने की बात सामने आई, और सारे पासे पलटते हुए योगी आदित्यनाथ ने अपने को साबित किया कि उत्तर प्रदेश में उनका रुतबा राजनीति में सबसे बड़ा है और उनके करोड़ों समर्थकों ने उनके मुख्यमंत्री बनने पर जिस प्रकार से उनको अपना मुख्यमंत्री स्वीकार किया, उससे सब राजनितिक शत्रु ढीले पड़ गए, लेकिन किसी भी राजनीतिक शत्रुता से दूर रहने वाले योगी आदित्यनाथ को नहीं पता था कि उनके बढ़ते कद के साथ-साथ विपक्ष में ही नहीं, बल्कि उनकी खुद की पार्टी भाजपा में भी उनके प्रतिद्वंद्वी पैदा हो रहे हैं। UP Politics News

पिछले दिनों लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान जब दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ये बात कही कि अगर भाजपा केंद्र में पूर्ण बहुमत से आ गई, तो दो महीने के अंदर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से योगी आदित्यनाथ जी को हटाया जाएगा। उनकी बात काफी हद तक सही थी और ये खेल इस बार खूब चलाने की कोशिशें हुई, हालाकि अभी तक किसी को इसमें सफलता भले ही नहीं मिली है, लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि पार्टी के अंदर ही भीतरघात की कोशिशें जारी है। 2022 में भी उत्तर प्रदेश में बड़े बहुमत के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बने, तो फिर उनके प्रतिद्वंद्वियों को और बुरा लगा और प्रदेश में न सिर्फ उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंदी केशव प्रसाद मौर्य को हार के बावजूद उप मुख्यमंत्री बनाया गया, बल्कि उनके और भी कई प्रतिद्वंद्वियों या ये कहें कि उन्हीं की पार्टी में उनके विरोधियों को कई प्रमुख मंत्रालय भी दिए गए और उनके करीबी माने जाने वाले दिनेश शर्मा को दोबारा उपमुख्यमंत्री नहीं बनने दिया गया। UP Politics News

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अब ऐसा लगता है कि ये प्रदेश सरकार और संगठन यानि पार्टी की लड़ाई बनती जा रही है या ये कहें कि इसे योगी आदित्यनाथ के कुछ विरोधियों ने ही इसे प्रदेश सरकार यानि योगी आदित्यनाथ और संगठन की लड़ाई बना दिया है।
कुछ दिनों पहले केशव प्रसाद मौर्य ने कहा भी था कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस अंदरूनी झगड़े का फायदा उठाने की कोशिश करते हुए ही सही, लेकिन पिछले दिनों एक ऐसा सच बोला, जिसे समझने की जरूरत है। UP Politics News

उन्होंने कहा था कि मौर्या जी (केशव प्रसाद मौर्य) मोहरा हैं और दिल्ली के वाईफाई के पासवर्ड हैं। भले ही इस बात से कई लोग इत्तेफाक न रखते हों, लेकिन इसमें जो इशारा अखिलेश यादव ने किया है, वो सभी राजनीति के जानकार अच्छी तरह से समझ रहे होंगे। बहरहाल, अब देखना ये है कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी की ये लड़ाई योगी आदित्यनाथ कैसे जीतते हुए अपना कद और सिर राजनीति में दोनों को ऊंचा रखेंगे, क्योंकि वो भी राजनीति के एक सुलझे हुए, ईमानदार और पहुंचे हुए खिलाड़ी हैं और पिछले करीब सात साल से देश के सबसे ज्यादा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। लेकिन इससे पहले वो पांच बार सांसद रहकर केंद्र की राजनीति के भी खिलाड़ी रह चुके हैं। UP Politics News

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