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Save Child SMA Type 1 : दुर्लभ बिमारी से मासूम भूदेव को बचाने लिए लगेगा साढ़े 17 करोड़ का टीका, माता-पिता ने CM योगी और PM मोदी से लगाईं गुहार

Save Child SMA Type 1 : दुर्लभ बिमारी से मासूम भूदेव को बचाने लिए लगेगा साढ़े 17 करोड़ का टीका, माता-पिता ने CM योगी और PM मोदी से लगाईं गुहार

Published By Roshan Lal Saini
Save Child SMA Type 1 सहारनपुर : स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नाम की लाइलाज बिमारी ने जनपद सहारनपुर भी एक मासूम को अपनी चपेट में ले लिया है। 9 महीने का मासूम भूदेव इन दिनों घातक बीमारी ( SMA ) स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से जूझ रहा है। मासूम भूदेव  को दिल्ली के AIMS अस्पताल के डॉक्टरों ने न सिर्फ स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी की पुष्टि की है बल्कि इलाज के लिए 17 करोड़ 50 लाख रूपये का खर्च बताया है। जिसके बाद मासूम भूदेव के परिजन टेंसन में आ गए हैं। डॉक्टरों ने SMA बीमारी के लिए साढ़े 17 करोड़ का जोलगेन्समा इंजेक्शन लगाने की सलाह दी है। जिसे अमेरिका से आर्डर पर मंगवाया जाएगा।
Save Child SMA Type 1
ख़ास बात ये है कि जिंदगी और मौत से जूझ रहा मासूम भूदेव माता पिता के लिए इतना मंहगा इंजेक्शन मंगवाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। यही वजह है की बेटे की जिंदगी के लिए बेबश माता-पिता ने जहां सरकार से मदद की गुहार लगाईं है वहीं देश वासियों से इलाज के लिए चंदा इकट्ठा करने की अपील कर रहे हैं। हालाँकि मासूम भूदेव के इलाज के लिए एक संस्था द्वारा चंदा इकट्ठा करने की मुहीम चलाई हुई है। चौकाने वाली बात ये है कि इस इंजेक्शन की अंतराष्ट्रीय कीमत साढ़े 23 करोड़ रूपये बताई जा रही है जिसे भारत सरकार द्वारा टेक्स फ्री करने के बाद साढ़े 17 करोड़ रूपये है। Save Child SMA Type 1
आपको बता दें कि जनपद सहारनपुर के गांव खजूरवाला निवासी अमित शर्मा किसानी का काम करता है। अमित शर्मा का एक 9 महीने का बेटा है जो स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी की चपेट में आ गया। अमित बताते हैं जब वह चार महीने का था तब उसके हाथों और पैरों में मूवमेंट नहीं हो रहा था। जबकि हाथ-पाँव देखने में तंदुरुस्त दिख रहे थे। उन्होंने मासूम भूदेव को बिठाने की कोशिश की लेकिन वह बैठ भी नहीं पा रहा था। जिसके चलते उन्होंने मासूम भूदेव को स्थानीय डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने मासूम को देहरादून के जौलीग्रांट के लिए रेफर कर दिया। जौलीग्रांट के डॉक्टरों ने सभी जांच रिपोर्ट आने के बाद स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी होना बताया। डॉक्टरों ने पुष्टि के लिए दिल्ली एम्स हॉस्पिटल भेज दिया। जहां डॉक्टरों की टीम ने मासूम भूदेव की सभी जांच की। जांच रिपोर्ट में भूदेव को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी TYPE 1 बिमारी की पुष्टि की है। जिसके बारे में सुनकर मासूम भूदेव के माता-पिता और परिजनों की चिंता बढ़ गई। Save Child SMA Type 1
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डॉक्टरों ने बताया साढ़े 17 करोड़ का टीका
खजुरवाला के मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मा 9 माह का मासूम भूदेव ऐसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा है। यह बिमारी दश भर में गिने चुने बच्चों को ही अपनी चपेट में ले रही है। दिल्ली के एम्स ने मासूम भूदेव देव में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी ( SMA ) टाइप 2 जानलेवा बीमारी की पुष्टि की है। डॉक्टरों ने मासूम भूदेव की जिन्दगी बचाने के लिए ऐसा इंजेक्शन लगाने की सलाह दी है। जिसकी कीमत की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। डॉक्टरों ने मासूम बच्चे को साढ़े 23 करोड़ की कीमत का इंजेक्शन लगाने की सलाह दी थी। भारत सरकार ने दुनिया के मंहगे इंजेक्शन को टैक्स फ्री किया हुआ है जिसके बाद इसकी कीमत साढ़े 17 करोड़ रूपये रह जाती है। लेकिन साढ़े 17 करोड़ रुपये इकट्टा करना मासूम के परिजनों के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। जिसके चलते परिजनों ने न सिर्फ सोशल मीडिया के जरिये मदद मांगी, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ से मदद की गुहार लगा रहे हैं। Save Child SMA Type 1
बंद हो गई भूदेव के शरीर की मूवमेंट
परिजनों के मुताबिक भूदेव जब 4 माह का था तो अचनाक मूवमेंट करना बंद कर दिया था। उसके पैरों का हिलना डुलना धीरे-धीरे बंद होने लगा था। आज भूदेव 9 महीने का हो गया लेकिन इस बीमारी के कारण उसके पैरों में कोई हलचल नहीं हो पा रही। वह चाहकर भी पैरों को बिल्कुल नहीं हिला पा रहा। धीरे-धीरे अब इस बीमारी का असर भूदेव के हाथों में भी आने लगा था, जिससे दायां हाथ बहुत कम ही हिल पा रहा है। Save Child SMA Type 1
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इंजेक्शन की कीमत जान बेबश हुआ परिवार
भूदेव के चाचा गौरव शर्मा ने बताया कि दिल्ली एम्स हॉस्पिटल में खून की जांच कराई तो जांच रिपोर्ट में स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी (SMA) टाइप-1 की पुष्टि हुई है। सही बीमारी का पता चला तो डॉक्टरों ने इलाज के लिए साढ़े 23 करोड़ का टीका लगाने की सलाह दी। टीके की कीमत सुनते ही मासूम भूदेव के पूरे परिवार के पांव तले से जमीन खिसक गई। मानों उनके ऊपर दुःखों का एक और पहाड़ टूट पड़ा हो। Save Child SMA Type 1
साढ़े 17 करोड़ का टीका बचा सकता है मासूम की जिंदगी
डॉक्टरों के मुताबिक़ SMA टाइप 1 की चपेट में आये मासूम भूदेव की जिंदगी को केवल साढ़े 17 करोड़ का टीका बचा सकता है। जिसकी कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में साढ़े 23 करोड़ रूपये बताई जा रही है। इस महंगे जोलगेन्समा इंजेक्शन को भारत सरकार ने टैक्स फ्री किया हुआ है। जिसके बाद इस महंगे टीके की कीमत साढ़े 17 करोड़ रूपये है। जो आज भी मध्यम वर्गीय परिवारों की पहुँच से बहुत दूर है। Save Child SMA Type 1
जानिए क्या है SMA बीमारी
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी ( SMA ) एक बहुत खतरनाक बीमारी है। मासूम भूदेव पल-पल इस घातक बीमारी के असहनीय दर्द के साथ जीने को मजबूर है। भूदेव पिछले 5 महीनों से स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी ( SMA ) नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा है। SMA यानि स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नाम की यह बिमारी चार प्रकार की होती है। इस बिमारी में अगर अमेरिका की कम्पनी द्वारा तैयार किया गया साढ़े 17 करोड़ का इंजेक्शन समय पर ना दिया जाये तो पीड़ित बच्चे की मौत निश्चित है। Save Child SMA Type 1
आइये आप भी जानिये घातक बीमारी SMA बिमारी के प्रकार और लक्षण  :-
SMA टाइप 1, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी ( SMA ) टाइप 1 की बिमारी 6 माह के बच्चों में आती है। जिसे वेर्डनिग-हॉफमैन की बीमारी भी कहा जाता है। इसको आमतौर पर टाइप 1 लगभग 60% रोगियों को प्रभावित करती है। टाइप 1 के लक्षण आमतौर पर 1 से 6 महीने के बच्चे में प्रकट होते हैं। कई बच्चों में जन्म के समय भी इस बीमारी के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। टाइप 1 SMA की चपेट में आये मासूमों को चूसने और निगलने में परेशानी होती है। ऐसे बच्चो के मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती है कि बच्चा उठने बैठने लायक नहीं रहता। इस बिमारी से बच्चों में श्वसन संबंधी संक्रमण और फेफड़े खराब होने (न्यूमोथोरैक्स) होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि उनकी मांसपेशियां लगातार खराब होती रहती हैं। टाइप 1 एसएमए वाले अधिकांश बच्चे अपने दूसरे जन्मदिन तक जीवित नहीं रह पाते हैं।
SMA टाइप 2, SMA टाइप 2 को मध्यवर्ती भी कहा जाता है। आमतौर पर इसको डुबोविट्ज़ रोग के रूप में भी जाना जाता है। SMA टाइप 2 बच्चे में 6 से 18 महीने की उम्र प्रकट होती है। टाइप 2 SMA बच्चों के निचले अंगों को प्रभावित करता है। SMA टाइप 2 के मरीज़ बैठ तो सकते हैं लेकिन चल फिर नहीं सकते। टाइप 2 एसएमए वाले अधिकांश बच्चे परिपक्वता तक जीवित रहते हैं।
SMA टाइप 3, बच्चे के 18 महीने की उम्र तक पहुंचने के बाद, टाइप 3 एसएमए लक्षण (जिसे कुगेलबर्ट-वेलैंडर या जुवेनाइल-ऑनसेट एसएमए भी कहा जाता है) दिखना शुरू हो जाते हैं। टाइप 3 वाले कुछ व्यक्तियों में युवा वयस्क होने तक लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। हल्की मांसपेशियों में कमजोरी, चलने में परेशानी और बार-बार होने वाला श्वसन संक्रमण टाइप 3 लक्षणों के उदाहरण हैं। लक्षण अंततः खड़ा होना या हिलना-डुलना कठिन बना रहता है। SMA टाइप 3 में जीवन प्रत्याशा बहुत कम नहीं होती है।
SMA टाइप 4,  का असामान्य वयस्क प्रकार अक्सर 30 के मध्य तक प्रकट नहीं होता है। SMA टाइप 4 वाले अधिकांश व्यक्ति मांसपेशियों के कमजोर होने के लक्षणों की धीमी प्रगति के बावजूद सक्रिय रहते हैं। लेकिन टाइप 4  की चपेट में आये मरीज पूर्ण जीवन जीते हैं।
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