Published By Roshan Lal Saini
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अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के मंदिर के निर्माण में 3500 कारीगर व मजदूर लगाए गए हैं। ये मजदूर राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, हैदराबाद समेत देश के विभिन्न राज्यों के रहने वाके हैं। ख़ास बात ये है कि राममंदिर निर्माण कार्य दिन-रात चल रहा है। इसके लिए दो शिफ्ट में आठ-आठ घंटे मजदूरों की ड्यूटी लगाई जाती है। हैदराबाद के कारीगर रामसेवकपुरम में राममंदिर के दरवाजों का निर्माण कर रहे हैं। Ram Will Come to New House After a Month
राममंदिर निर्माण में देश के कई नामी तकनीकी एजेंसियों की मदद ली जा रही है। आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो वीएस राजू के अलावा आईआईटी सूरत व गुवाहाटी के निदेशकों के साथ सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की के विशेषज्ञों समेत एलएंडटी और टाटा कंसल्टिंग के इंजीनियर मंदिर निर्माण में लगे हैं। सीबीआरआई हैदराबाद व आईआईटी मुंबई की टीम का भी योगदान है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था इसरो राम के मस्तक पर सूर्य की पहली किरण से तिलक कराने में मदद कर रही है। Ram Will Come to New House After a Month
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राममंदिर की खिड़कियां, चौखट, दरवाजे महाराष्ट्र के चंद्रपुर की सागौन की लकड़ी से बन रहे हैं। राममंदिर में कुल 42 दरवाजे लगाए जा रहे हैं। ये सभी दरवाजे सागौन की लकड़ी से बन रहे हैं। विशेषज्ञों की राय पर इस लकड़ी का चयन किया गया है। सागौन की लकड़ी में छह से सात सौ साल तक दीमक नहीं लगता। अब तक दिल्ली की सेंट्रल विस्टा परियोजना व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की इमारत, सतारा सैनिक स्कूल और डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स स्टेडियम सहित कई प्रमुख परियोजनाओं में महाराष्ट्र की सागौन की लकड़ी का उपयोग किया गया है। Ram Will Come to New House After a Month
मंदिर निर्माण मुख्य रूप से राजस्थान के मिर्जापुर और बंसीपहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थर और नक्काशीदार संगमरमर से हुआ। गुलाबी पत्थरों की चमक सैकड़ों साल तक रहती है। इनकी आयु भी लंबी होती है। मंंदिर की नींव में 17,000 ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। प्रत्येक का वजन दो टन है। ग्रेनाइट पत्थर ठोस होता है। पानी के रिसाव को सोख लेता है। इसलिए नींव की मजबूती के लिए इसका इस्तेमाल किया गया है। Ram Will Come to New House After a Month
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राममंदिर की नींव करोड़ों हिंदुओं की आस्था भी अर्पित है। राममंदिर के फैसले के बाद देश की सभी पवित्र नदियों का जल व मिट्टी हजारों कलशों में अयोध्या पहुंची थी। भक्तों की इच्छा थी कि उनकी आस्था मंदिर की नींव में समर्पित की जाए। राममंदिर ट्रस्ट ने जल व मिट्टी को मंदिर की नींव में समर्पित कराया है। वहीं 1989 में हुए शिलादान में मिलीं करीब 2़ 75 लाख रामनाम लिखीं ईंटें भी नींव में समाहित की गई हैं। Ram Will Come to New House After a Month
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए तीन स्थानों पर गुप्त रूप से तीन मूर्तियां बनाई जा रही हैं। कर्नाटक के गणेश भट्ट, व राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय व अरुण योगीराज मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं। तीन मूर्तियों में से बाल सुलभ कोमलता जिस मूर्ति में सर्वाधिक झलकेगी, उसका चयन किया जाएगा। उसी मूर्ति को पीएम मोदी 22 जनवरी को गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित करेंगे। राजस्थान से सफेद संगमरमर व कर्नाटक से एक भूरे रंग का पत्थर लाया गया, जिसे कृष्ण शिला कहते हैं। इन दोनों पत्थरों पर मूर्ति निर्माण शुरू हुआ। सभी प्रकार के पत्थरों का परीक्षण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स में किया गया। इसके बाद ही मूर्तिकारों ने काम शुरू किया था। Ram Will Come to New House After a Month
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रामलला की अचल मूर्ति 51 इंच की होगी। कमल के आसन पर रामलला विराजेंगे। हाथ में धनुष-बाण होगा। आसन सहित प्रत्येक मूर्ति की ऊंचाई लगभग सात फीट होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि भक्तों को 25 फीट की दूरी से दर्शन करने के लिए यह आवश्यक है। राममंदिर का एक अन्य आकर्षण यह है कि हर रामनवमी को सूर्य की किरणें रामलला का अभिषेक करेंगी। सूर्य के प्रकाश को रामलला के माथे पर प्रतिबंधित करने के लिए एक उपकरण भी गर्भगृह में लगाया जा चुका है। इस पर इसरो के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। Ram Will Come to New House After a Month
– पर्व व त्योहारों पर खास प्रकाश व्यवस्था होगी।
– रामायण गैलरी में रामकथा के प्रसंगों की झांकी सजेगी।
– परिसर में 88 प्रकार के रामायणकालीन पौधे रोपित किए जाएंगे।
– भक्तों के लिए प्रतिदिन 11 लाख लीटर पानी की व्यवस्था की जाएगी।
– मंदिर चारों तरफ से खुला होने के साथ इको फ्रेंडली होगा।
– भक्तों के 24 घंटे रुकने की व्यवस्था होगी।
तीन चरणों में पूरा होगा मंदिर निर्माण :-
पहला चरण-15 दिसंबर 2023
-राममंदिर के भूतल यानी गर्भगृह के निर्माण की समय सीमा 15 दिसंबर 2023 तय की गई थी, जो कि पूरी हो चुकी है और राममंदिर का भूतल भी बनकर तैयार है।
दूसरा चरण- दिसंबर 2024
-दूसरे चरण में राममदिर के प्रथम व दूसरे तल का काम पूरा किया जाना है। पहली मंजिल पर रामदरबार होगा। हर एक स्तंभ में देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी जाएंगी।
तीसरा चरण- दिसंबर 2025
तीसरे चरण में परकोटा का निर्माण होगा। इसमें कांस्य पर 90 मूर्तियां उकेरी जाएंगी। परकोटे में सप्त ऋषियों के मंदिर भी बनाए जाएंगे। इस कार्य को दिसंबर 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।
राममंदिर निर्माण से जुड़ी प्रमुख तारीखें : –
5 फरवरी 2020- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत केंद्र सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया। इसमें 15 सदस्य रखे गए। ट्रस्ट में नौ स्थायी और छह नामित सदस्यों को रखा गया। ट्रस्ट में सभी हिंदू सदस्यों को रखा गया।
6 फरवरी 2020- केंद्र सरकार ने एक रुपया दान के साथ राममंदिर निर्माण अभियान की शुरुआत की।
19 फरवरी 2020- श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक दिल्ली में हुई। इसमें महंत नृत्यगोपाल दास को अध्यक्ष और विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महासचिव चंपत राय को महासचिव चुना गया। पीएम नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र को मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष चुना गया।
25 मार्च 2020- यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टेंट में विराजमान रामलला को अपने सिर पर बिठाकर अस्थायी मंदिर में शिफ्ट किया।
5 अगस्त 2020- रामजन्मभूमि परिसर में राममंदिर का भूमिपूजन हुआ। पीएम नरेंद्र मोदी ने राममंदिर निर्माण की आधार शिला रखी।
2 सितंबर 2020- अयोध्या विकास प्राधिकरण से मात्र चार दिनों के भीतर राममंदिर का नक्शा पास हुआ। इसके लिए ट्रस्ट ने 2.11 करोड़ रुपये जमा किए थे।
15 जनवरी 2021- राममंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण अभियान की शुरुआत की गई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अभियान का शुरुआत की। सबसे पहला दान योगी सरकार ने एक रुपये का किया।
1 जून 2022- सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंदिर के गर्भगृह की नींव का पूजन किया।