Rahul Gandhi got MP

Rahul Gandhi got MP: राहुल गांधी की सांसदी बहाल होने के साथ वापस मिला बंगला, क्या पटरी पर लौटेगी कांग्रेस ?

Rahul Gandhi got MP : राहुल गांधी की सांसदी बहाल होने के साथ वापस मिला बंगला, क्या पटरी पर लौटेगी कांग्रेस ?

Published By Roshsn Lal Saini

Rahul Gandhi got MP दिल्ली : पीएम मोदी के सरनेम पर विवादित ब्यान के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से जहां कांग्रेस पार्टी के उस दावे को बल मिल गया है जिसमें राहुल गांधी के साथ अन्याय किये जाने का आरोप लगाया गया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक साल से खुद को राजनीतिक मजबूत करने की कवायद में जुटे हैं। पहले उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा में पांच महीने तक पैदल चलकर राजनीति के मैदान में डटे रहने वाले योद्धा की भूमिका निभाई। इसके बाद संसद के बाहर बिताए गए पांच महीनों में उन्हें खुद को शहीद के रूप में पेश करने का मौका मिल गया। राहुल गांधी की रीब्रैंडिंग की पहले भी बहुत कोशिशें हो चुकीं, लेकिन इस बार पिछले प्रयासों के मुकाबले ज्यादा सफलता मिली है। इस बार न केवल कांग्रेस बल्कि विपक्षी गठबंधन में भी राहुल की स्वीकार्यता बढ़ी है।

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Rahul Gandhi got MP: कई कांग्रेस समर्थकों को लगता है कि नई छवि गढ़ चुके राहुल गांधी के लिए अब तीसरा और आखिरी मोर्चे का मंच तैयार हो गया है और वो है- प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी से दो-दो हाथ करना। लेकिन इस सवाल पर कांग्रेस अभी भी खुद को उहापोह में फंसी पाती है। अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी की रणनीति दो परस्पर विरोधी लक्ष्यों पर आधारित है। एक तरफ तो वह व्यापक विपक्षी एकता चाहती है, लेकिन दूसरी तरफ उसे अपनी खोई हुई जमीन भी वापस चाहिए जो उसने गठबंधन सहयोगियों के हाथ गंवाए हैं। कांग्रेस को लगता है कि एक राष्ट्रीय एजेंडे पर जनमत संग्रह के तौर पर प्रेसिडेंशियल स्टाइल में ‘राहुल बनाम मोदी’ का मुकाबला, उसके लिए फायदेमंद नहीं हो होगा। Rahul Gandhi got MP

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2019 के लोकसभा चुनावों में जिन 186 सीटों में कांग्रेस का भाजपा से सीधा मुकाबला था, उनमें पार्टी ने 171 सीटें गंवा दीं। इनमें से अधिकांश सीटें उत्तरी और मध्य भारत में स्थित हैं, जहां मोदी और गांधी के बीच लोकप्रियता का अंतर अभी भी प्रबल है। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में हाल ही में किए गए सीवोटर सर्वेक्षण से पता चला है कि 57% लोगों ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए अपना पसंद बताया जबकि सिर्फ 18% लोग राहुल गांधी का समर्थन करते हैं। राहुल गांधी की अयोग्यता से विपक्षी खेमे में गम और खुशी, दोनों का साथ-साथ संचार हुआ। Rahul Gandhi got MP

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एक तरफ विपक्षी नेताओं को लगने लगा कि राहुल नपे तो अगली बारी किसी और की भी हो सकती है। दूसरी तरफ, उन्होंने यह सोचकर राहत की सांस ली कि चलो अब राहुल गांधी से छुटकारा मिला, वो अब प्रधानमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए। अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और नीतीश कुमार जैसे नेताओं की तो बांछें ही खिल गई होंगी। निश्चित रूप से राहुल गांधी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट से लगी रोक के बाद, इन्हीं नेताओं को सबसे ज्यादा तकलीफ भी हुई होगी। निश्चित रूप से राहुल गांधी की सांसदी लौटने से I.N.D.I.A के बैनर तले आकार ले रहे बेहद नाजुक गठबंधन की डगर और कठिन हो जाएगी। Rahul Gandhi got MP

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Rahul Gandhi got MP: कांग्रेस पिछले तीन दशकों में कई क्षेत्रीय दलों के हाथों अपनी जमीन खोकर काफी कमजोर हो गई है। पार्टी को लगता है कि वह राष्ट्रीय राजनीतिक फलक पर राहुल गांधी की बढ़ती प्रासंगिकता के जरिए कुछ हद तक वापसी कर सकती है। यह तर्क दिया जा सकता है कि राहुल को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश करने से कांग्रेस को कुछ राज्यों में स्थिति मजबूत करने में मदद मिल सकती है जहां उसे प्रतिद्वंद्वी दावेदारों का सामना करना पड़ता है। प्रधानमंत्री पद के लिए एक प्रमुख दावेदार के रूप में राहुल गांधी के चेहरे पर भरोसा करने से पंजाब, दिल्ली और तेलंगाना में त्रिकोणीय लड़ाई में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ सकता है। वहीं, द्विध्रुवीय राज्य केरल में पार्टी पिछले संसदीय चुनावों की तरह ही इस बार भी कम्युनिस्टों को मात देने के लिए राहुल पर काफी हद तक निर्भर है। Rahul Gandhi got MP

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Rahul Gandhi got MP:राहुल गांधी में राष्ट्रीय नेता की छवि के उभार का उत्तर प्रदेश और बंगाल जैसे राज्यों में भी, विशेष रूप से वहां के मुसलमानों और दलितों पर कुछ हद तक प्रभाव पड़ सकता है। याद रहे कि कांग्रेस ने 2009 में उत्तर प्रदेश में आश्चर्यजनक रूप से 21 सीटें जीती थीं। मई महीने के एनडीटीवी-सीएसडीएस सर्वे में एक महत्वपूर्ण तस्वीर उभरकर सामने आई थी। सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस ने अपना वोट शेयर 2019 के मुकाबले 10 प्रतिशत बढ़ाकर 29% कर लिया जबकि भाजपा का वोट शेयर 39% हो गया जो 2019 के वोट शेयर में लगभग 2% की बढ़ोतरी है। इसका मतलब है कि कांग्रेस वोटों में बढ़त बना रही है, लेकिन यह भाजपा में नहीं बल्कि समान राजनीतिक एजेंडे वाले क्षेत्रीय दलों के वोट बैंक में सेंध लगाने से हो रहा है। यही कांग्रेस की बुनियादी दुविधा है। शायद कांग्रेस, राहुल गांधी को झटके में नहीं बल्कि राज्यों के चुनावों के जरिए धीरे-धीरे विपक्षी खेमे के सबसे बड़े चेहरे के रूप में पेश करने की रणनीति अपनाएगी। ऐसा पहले भी होता रहा है कि विधानसभा चुनावों में जीत-हार से विपक्ष में कांग्रेस की कद बढ़-घट जाती है। Rahul Gandhi got MP

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