Movement Sharmistha Mukherjees Book

Movement Sharmistha Mukherjees Book : शर्मिष्ठा मुखर्जी की किताब से सियासी गलियारों में हलचल!

Movement Sharmistha Mukherjees Book : शर्मिष्ठा मुखर्जी की किताब से सियासी गलियारों में हलचल!

Published By Anil Katariya

Movement Sharmistha Mukherjees Book  : आजीवन कांग्रेस में रहने वाले स्वर्गीय पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी की किताब से सियासी गलियारों में हलचल पैदा हो गई है। शमिष्ठा ने अपनी किताब इन प्रणब, माय फादर ए डॉटर रिमेंबर’ में दावा किया कि एक बार उनके पिता प्रणब दा ने कहा था कि राहुल गांधी ‘बहुत विनम्र’ और ‘सवालों से परिपूर्ण’ हैं। लेकिन उनका मानना था कि राहुल गांधी को ‘अभी सियासी तौर पर परिपक्व होना बाकी है।

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शर्मिष्ठा ने किताब में इस बात का भी जिक्र किया है कि राहुल गांधी राष्ट्रपति भवन में उनके पिता से मुलाकात करते रहते थे। हालांकि इन मुलाकातों की संख्या ज्यादा नहीं थी प्रणब मुखर्जी ने उन्हें कैबिनेट में शामिल होने और सरकार में कुछ प्रत्यक्ष अनुभव हासिल करने की सलाह दी। लेकिन राहुल ने इस सलाह पर ध्यान नहीं दिया। किताब में इस बात का भी जिक्र है कि 25 मार्च 2013 को एक दौरे पर प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि राहुल गांधी की कई मामलों में रुचि है, लेकिन वे एक विषय से दूसरे विषय पर बहुत तेजी से आगे बढ़ते हैं। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भूमि अधिग्रहण बिल की कॉपी फाड़ने का भी जिक्र किया है। Movement Sharmistha Mukherjees Book

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शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब में एक घटना का उल्लेख करते हुए लिखा है कि राहुल गांधी को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब से मिलने के लिए शाम का समय दिया गया था। बावजूद इसके राहुल सुबह तब पहुंचे जब राष्ट्रपति प्रणब सुबह की सैर कर रहे थे। शर्मिष्ठा ने किताब में प्रणब को यह कहते हुए उद्धृत किया है कि ‘यह पता चला कि राहुल शाम को प्रणब मुखर्जी से मिलने वाले थे, लेकिन उनके कार्यालय ने गलती से उन्हें सूचित कर दिया कि बैठक सुबह है… जब मैंने अपने पिता से पूछा, तो उन्होंने टिप्पणी की कि ‘अगर राहुल का कार्यालय सुबह और अपराह्न के बीच अंतर नहीं कर सकता है तो वे एक दिन पीएमओ को कैसे चलाने की उम्मीद करते हैं?’ Movement Sharmistha Mukherjees Book

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किताब में प्रणब के हवाले से यह उल्लेख है कि राहुल में ‘उनके राजनीतिक कौशल को जाने बिना’ गांधी-नेहरू वंश का खूब अहंकार था। किताब से यह भी पता चलता है कि प्रणब को मालूम था कि कांग्रेस की सरकार बनने पर डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री होंगे। इससे दिवंगत दिग्गज और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच अविश्वास के कारणों का भी पता चलता है। किताब में कहा गया है कि संदेह इस बात से पैदा हुआ कि 31 अक्तूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रणब ने प्रधानमंत्री पद के लिए दावा किया था। लेखक का कहना है कि लेेकिन यह सच नहीं है। Movement Sharmistha Mukherjees Book

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आपको बता दें कि डॉ मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2013 के एक फैसले को निष्क्रिय करने के लिए एक अध्यादेश लाया गया था। उस अध्यादेश को राहुल गांधी ने फाड़ दिया था। सितंबर 2013 में यूपीए सरकार ने अध्यादेश पारित कर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को निष्क्रिय किया था। जिसमें कहा गया था कि सांसदों और विधायकों के दोषी पाए जाने पर उनकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। फैसले के खिलाफ अध्यादेशपारित भी हो गया था और उस वक्त भाजपा, वामदल समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध भी किया था, लेकिन अध्यादेश को वापस नहीं लिया गया। Movement Sharmistha Mukherjees Book

हालांकि, राहुल गांधी के दखल के बाद इस अध्यादेश को वापस ले लिया गया था।विपक्षी पार्टियों के हंगामे के बाद कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अध्यादेश की अच्छाइयों को जनता के सामने रखने की कोशिश की थी, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच में राहुल गांधी पहुंचे और खुद की ही सरकार पर सवाल खड़े करने लगे। इस दौरान उन्होंने अध्यादेश को बकवास बताया था और अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था। जिसको लेकर आज भी भाजपा उन पर निशाना साधती रहती है। Movement Sharmistha Mukherjees Book

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