Loksabha Election 2024

Loksabha Election 2024 : पश्चिम उत्तर प्रदेश की इन सीटों पर कैसे टूटेगा चक्रव्यूह, किसका माहौल बिगाड़ेंगे समीकरण ?

Loksabha Election 2024 : पश्चिम उत्तर प्रदेश की इन सीटों पर कैसे टूटेगा चक्रव्यूह, किसका माहौल बिगाड़ेंगे समीकरण ?

Published By Roshan Lal Saini

Loksabha Election 2024 : आम चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव सब राजनेताओं की नजर पश्चमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर रहती है। लोकसभा चुनाव की बात करें तो पिछले दो चुनावों के नतीजो ने पश्चिम यूपी में उठी सियासी लहर का फायदा पूरब तक दिखाई दिया। जिस पार्टी का जैसा माहौल पश्चिम से बनना शुरू होता है, पूरब तक उसी का खासा असर देखने को मिलता है। यही वजह है कि पश्चमी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को साधने के लिए तमाम पार्टियां सबसे ज्यादा जोड़ तोड़ ओर आजमाइश में जुट जाती है।

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पश्चमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर पहले चरण में मतदान होने जा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिम की सभी सीटों पर जीत का परचम लहराया था। समूचे उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अकेले 71 सीटों पर कब्जा कर लिया था। जबकि 2 सीटों पर NDA के सहयोगी दलों के प्रत्याशी जीतकर आये थे। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर सपा-रालोद व बसपा के महागठबंधन के सामने भाजपा कमजोर साबित हुई। महागठबंधन के चलते पश्चिम की आठ सीटों में से केवल तीन सीट ही जीत पाई थी। इस माहौल का असर यह हुआ कि सपा व बसपा ने पूर्वांचल में कई सीटें जीतीं और भाजपा का आंकड़ा 62 पर ही रुक गया था। Loksabha Election 2024

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2024 में लोकसभा चुनाव एक बार फिर पश्चिम से ही शुरू होने जा रहे हैं। निर्वाचन आयोग की घोषणा के मुताबिक़ पश्चिमी यूपी की आठ लोकसभा सीटों पर सबसे पहले चुनाव होने हैं। इनके लिए नामांकन 20 मार्च दिन बुधवार से हो जाएंगे। चौकाने वाली बात तो ये है कि कई सीटों पर कई बड़ी पार्टियों ने अभी तक अपने प्रत्याशी के नाम भी तय ही नहीं कर पाए हैं। जिसके चलते पश्चिम की ऐसी सीटों पर चुनावी तस्वीर अभी तक धुंधली नजर आ रही है।

पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार यहां के सियासी समीकरण बहुत बदले हुए दिखाई दे रहे हैं। लोकसभा चुनाव पर इसका असर दिखाई देने लगा है। जाट लैंड कहे जाने वाले पश्चमी उत्तर प्रदेश में इस बार का चुनाव RLD अध्यक्ष जयंत चौधरी का भी कद तय करेगा। उधर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान की हैट्रिक के प्रयासों की परीक्षा होगी। यह चुनाव तय करेगा कि भाजपा नेता वरुण गांधी का सियासी भविष्य कैसा होगा? Loksabha Election 2024

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पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान एवं जाट नेता रहे स्व. चौधरी अजित सिंह का प्रभाव माना जाता है। ऐसे में वे हारें या जीतें, लेकिन उन्हें साथ लेकर चलने वाले दल हमेशा अपने को फायदे में मानते रहे। अजित सिंह भी अपनी इस अहमियत की भरपूर सियासी कीमत वसूलते रहे। इस बार यह चुनाव अजित सिंह के बिना ही हो रहा है। अजित के उत्तराधिकारी जयंत चौधरी को साधने के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही ओर से आखिर तक कोशिश की गई। आखिरकार सत्तापक्ष का पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का दांव कारगर साबित हुआ। जयंत पिछले चुनाव का जाट-दलित मुस्लिम का समीकरण छोड़कर भाजपा के साथ आ गए हैं। यह चुनाव तय करेगा कि जयंत का फैसला कितना सही है। Loksabha Election 2024

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पहले चरण की जिने सीटों पर चुनाव होने हैं। उनमें समाजवादी पार्टी के मुस्लिम कद्दावर नेता आजम खां का रामपुर भी आता है। पिछले पांच सालों में तमाम उतार-चढ़ाव का सामना करने के बाद आजम खां को जेल जाना पड़ा। सजा हुई और उनकी सांसदी चली गई। जिसके बाद उपचुनाव हुआ, जिसमें भाजपा के घनश्याम लोधी सांसद हो गए। सपा ने अभी तक रामपुर स्वीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। भाजपा ने लोधी को फिर से प्रत्याशी बना दिया है।

भाजपा और रालोद गठबंधन में रालोद को दो सीटें बिजनौर व बागपत मिली हैं। इसमें बिजनौर में पहले चरण में ही चुनाव होना है। 2019 में सपा-बसपा और रालोद गठबंधन में बिजनौर सीट बसपा के पास थी और उसके प्रत्याशी मलूक नागर चुनाव जीते थे। इस बार रालोद ने चंदन चौहान और सपा ने यशवीर सिंह को प्रत्याशी बनाकर अपना प्रचार अभियान तेज कर दिया है। बस्पा अकेली है और अभी तक प्रत्याशी का आधिकारिक एलान बाकी है। 2019 के तीनों मित्र दलों के प्रत्याशी इस बार अलग-अलग एक दूसरे के सामने ताल ठोकने वाले हैं। Loksabha Election 2024

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2019 के लोकसभा चुनाव में ग्रहां से केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और रालोद मुखिया अजित सिंह आमने-सामने थे। बालियान लगातार दूसरी बार जीते थे। अजित सिंह नहीं रहे और बदले हालात में रालोद और भाजपा एक साथ हैं। ऐसे में इस बार रालोद अपनी भी ताकत बालियान के साथ लगाएगी। सपा ने पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को प्रत्याशी बनाया है। बसपा प्रत्याशी का एलान बाकी है।

पिछले चुनाव में महागठबंधन के जरिए सहारनपुर सीट पर बसपा ने कब्जा जमाया था। बसपा के हाजी फजलुर्रहमान भाजपा के राघव लखनपाल को, हराकर चुनाव जीते थे। इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है। भाजपा, कांग्रेस व बसपा में किसी ने भी अभी यहां से प्रत्याशी का एलान नहीं किया है। 2019 के चुनाव में भाजपा के प्रदीप कुमार चौधरी यहां से सपा की तबस्सुम बेगम को हराकर चुनाव जीते थे। इस चुनाव में पूर्व सांसद मुनव्वर हसन और तबस्सुम बेगम की बेटी इकरा हसन को सपा ने प्रत्याशी बनाया है। इकरा हसन के भाई नाहिद हसन विधायक हैं। अब यहां से बसपा प्रत्याशी के नाम की घोषणा का इंतजार है।

बसपा पार्टी से गिरीश चंद्र महागठबंधन से पिछला चुनाव जीतकर सांसद बने थे। बसपा ने अभी तक किसी का टिकट फाइनल नहीं किया है। इस बार सपा ने सेवानिवृत्त जज मनोज कुमार और भाजपा ने नहटौर से विधायक ओम कुमार को प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही दलों से इस बार नए प्रत्याशी मैदान में हैं। पिछला चुनाव भाजपा से वरुण गांधी जीते थे। लेकिन, कुछ ही दिनों बाद से उन‌के तेवर बदल गए। वह कई बार अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़े करते और उससे सवाल करते नजर आए। अभी तक इस सीट पर भाजपा ने पत्ते नहीं खोले हैं। सपा और चम्रपा भी अभी चुप्पी साधे हुए है। Loksabha Election 2024

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