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Loksabha Chunav : लोकसभा चुनाव से पहले ईवीएम को लेकर छिड़ी जंग, विपक्षी दल बैल्ट पेपर से चुनाव कराने की कर रहे मांग

Loksabha Chunav : लोकसभा चुनाव से पहले ईवीएम को लेकर छिड़ी जंग, विपक्षी दल बैल्ट पेपर से चुनाव कराने की कर रहे मांग

Published By Roshan Lal Saini

Loksabha Chunav : एक तरफ एमएसपी और अन्य वायदों को लेकर किसानों ने सरकार को घेरा हुआ है, तो दूसरी तरफ ईवीएम के मामले में केंद्र की मोदी सरकार घिरती नजर आ रही है। यह आंदोलन भी किसान आंदोलन की तरह ही देशव्यापी है। लेकिन मुख्यधारा का मीडिया इसे दिखा नहीं रहा है और ईवीएम के खिलाफ आंदोलन करने वालों के खिलाफ भी पुलिस वही रुख अख्तियार कर रही है, जो किसानों के साथ कर रही थी।

फर्क यह है कि इस आंदोलन की अगुवाई वकील कर रहे हैं, जिसके चलते पुलिस उनके खिलाफ अपराधियों जैसा सुलूक नहीं कर पा रही है, जैसा कि उसने किसानों के खिलाफ किया। इसके बावजूद एक वकील पर हमला होने की खबरें आईं।

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इसके अलावा वकीलों को प्रदर्शनकारियों को कई बार पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। वकीलों और प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो इस बार किसी भी हाल में ईवीएम से चुनाव नहीं होने देंगे या चुनाव आयोग उनके ईवीएम हैक के चैलेंज को स्वीकार करे और इसके लिए अपनी मशीनें ट्रायल पर दे। साथ ही साल 2019 में गायब हुई 19 लाख के करीब ईवीएम को लेकर भी चुनाव आयोग से सवाल पूछे जा रहे हैं। लेकिन कोई जवाब आयोग नहीं दे रहा है। वकीलों का आरोप है कि जिस कंपनी को ईवीएम बनाने की जिम्मेदारी मिली हुई है, उसके चार डायरेक्टर भाजपा और संघ के लोग हैं। Loksabha Chunav

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बहरहाल, साल 2019 में चुनाव आयोग ने विपक्षी पार्टियों के ईवीएम हैकिंग के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। तब चुनाव आयोग ने कहा था कि छेड़छाड़ केवल भौतिक पहुंच से ही संभव है और ईसीआई द्वारा की गई ईवीएम की विस्तृत सीलिंग प्रक्रिया ऐसा होने से रोकती है।

साल 2017 में भी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से चुनाव आयोग ने कहा था कि ईसीआई-ईवीएम कंप्यूटर नियंत्रित नहीं हैं, स्टैंडअलोन मशीनें हैं और किसी भी समय इंटरनेट या किसी अन्य नेटवर्क से कनेक्ट नहीं हैं। इसलिए रिमोट डिवाइस द्वारा हैकिंग की कोई संभावना नहीं है। हालांकि चुनाव आयोग के इन तर्कों में कोई दम नहीं दिखता, क्योंकि मोबाइल जैसी चीज भी आज सुरक्षित नहीं है, जो कि हर व्यक्ति के निजी हाथों में रहता है और फिर भी उसे हैक किया जा सकता है। Loksabha Chunav

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इसी साल 1 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख वकीलों महमूद प्राचा और भानु प्रताप ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके ईवीएम के खिलाफ आंदोलन के बारे में चेतावनी दी थी और वैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी। 15 दिसंबर, 2023 को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ईवीएम के प्रयोग पर रोक लगाने की मांग उठाई थी। एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि अगर आप एक विकसित देश बनना चाहते हैं तो आप विकसित देशों में प्रचलित मतदान प्रणाली को क्यों नहीं अपनाते? उन्होंने अमेरिका, जापान और रूस जैसे विकसित देशों की तरह ही चुनाव कराने की मांग चुनाव आयोग से की थी। Loksabha Chunav

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वकीलों ने तो यहां तक चैलेंज कर रखा है कि अगर ईवीएम की जगह चुनाव कराए जाएं, तो भाजपा 40 लोकसभा सीटें भी नहीं निकाल पाएगी और खुद नरेंद्र मोदी चुनाव हार जाएंगे। अब अगर सरकार को, और खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी प्रसिद्धि पर भरोसा हो और ये चैलेंज स्वीकार हो, तो वैलेट पेपर से केंद्र की उनकी सरकार इस बार चुनाव कराए। वर्ना कहीं ऐसा न हो कि ये आंदोलन किसान आंदोलन से भी बड़ा हो जाए और सरकार के साथ-साथ चुनाव आयोग को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़े। Loksabha Chunav

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