Jagadguru Shankaracharya Avimukteshwarananda

Jagadguru Shankaracharya : जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द ने प्रतीकात्मक शिखिर का किया स्वागत, अयोध्या न जाने के फैसले पर अटल

Jagadguru Shankaracharya : जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द ने प्रतीकात्मक शिखिर का किया स्वागत, अयोध्या न जाने के फैसले पर अटल

Published By Roshan Lal Saini

Jagadguru Shankaracharya सहारनपुर : जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द महाराज शनिवार को सहारनपुर में सिध्दपीठ मां शाकम्भरी देवी के मंदिर पहुंचे। जहां शंकराचार्य माता  शाकम्भरी देवी जयंती में शामिल हुए। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि अयोध्या में बनाये गए राम मंदिर में प्रतीकात्मक शिखर बनाना स्वागत योग्य है। मंदिर समिति को अपनी भूल को स्वीकार करना चाहिए। हालांकि अभी भी वे श्रीराम लला प्रतिष्ठा के मौके पर ना जाने के अपने पूर्व के निर्णय पर ही कायम हैं।

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आपको बता दें कि ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द जी महाराज शनिवार की देर शाम सिद्धपीठ  शाकम्भरी देवी में माता शाकम्भरी जयंती में शामिल हुए। जहां माता शाकम्भरी देवी के जन्मोत्स्व के मौके पर माता किये। इस दौरान उन्होंने कहा कि “आते हुए बीच रास्ते में उन्होंने सुना है कि श्रीराम लला मंदिर में कपड़े का प्रतीकात्मक शिखर बनाया जा रहा है। इसका मतलब है कि उन्होंने स्वीकार किया है कि बिना शिखर के नहीं करना चाहिए था। प्रतीक ही सही भूल सुधार किया जा रहा है।” Jagadguru Shankaracharya Avimukteshwarananda
ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द महाराज ने बताया कि “अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में प्रतीकात्मक शिखर बनाया जा रहा है। मंदिर समिति का यह कदम स्वागत करने योग्य है। यह शास्त्रसम्मत है जो सभी को अच्छा लगेगा। उन्होंने कहा कि सदियों से हमारा देश का हिंदू शास्त्र के अनुसार चलता आ रहा है। इस बात को मंदिर के कर्ताधर्ताओं को स्वीकार करना चाहिए कि उन्होंने जल्दबाजी में बड़ी भूल की थी और अब वे अपनी उस भूल में सुधार करने जा रहे हैं। साथ ही वे इस बात को स्पष्ट करें कि देखिए हमने शास्त्र सम्मत किया है। इससे हिंदू समाज को भी खुशी होगी। उन्होंने कहा कि चारों शंकराचार्य केवल क्षेत्राधिकार के कारण अलग हैं, बाकि शास्त्र तो सबके एक ही हैं। Jagadguru Shankaracharya Avimukteshwarananda
इससे पहले उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत गीता में स्पष्ट उल्लेख है कि जैसे दिन और रात एक दूसरे के पूरक हैं। ऐसे ही देवी संपत एवं आसुरी संपत एक दूसरे के पूरक है। देवी संपत मोक्ष की ओर ले जाने वाला है एवं आसुरी संपत बंधन में डालने वाला है। जो बंधन में होता है वह मुक्त होना चाहता है और जो मुक्त है वह कभी-कभी उसके मन में आता है कि वह भी बंधन में हो। इस मौके पर अखिल भारतीय संत संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं शंकराचार्य आश्रम प्रभारी सहजानंद जी महाराज और दंडी स्वामी भी उपस्थित रहे। Jagadguru Shankaracharya Avimukteshwarananda

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