Illegal Mining in Saharanpur

Illegal Mining in Saharanpur : अवैध खनन की शिकायत करना पड़ा महंगा, प्रशासन ने जाँच की बजाए शिकायत कर्ता से मांगे साक्ष्य

Illegal Mining in Saharanpur : अवैध खनन की शिकायत करना पड़ा महंगा, प्रशासन ने जाँच की बजाए शिकायत कर्ता से मांगे साक्ष्य


Published By Anil Katraiya

Illegal Mining in Saharanpur : उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर में अवैध खनन का काला कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। खनन कारोबारी वैध खनन पट्टो की आड़ में न सिर्फ अवैध खनन को अंजाम दे रहे हैं बल्कि NGT और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को खुलेआम ठेंगा दिखाया जा रहा है। आलम यह है कि खनन माफियाओं की शिकायत करने पर जिला प्रशासन शिकायत कर्ता से ही अवैध खनन के साक्ष्य मांग रहा है।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि बिना पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र के अनुज्ञा पत्र स्वीकृत किये गए थे। अनुज्ञापत्र की पत्रावलियों में पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र की जांच करने की बजाये प्रशासन ने शिकायत करने वाले से ही अवैध खनन के साक्ष्य मांगे हैं। तहसील बेहट इलाके समेत जिले के सभी खनन जोन में पिछले वर्ष कृषि भूमि/निजी भूमि में साधारण बालू के खनन के लिए 150 से ज्यादा अनुज्ञा पत्र जारी किये गए थे। जिनकी आड़ लेकर खनन माफियाओं ने मानकों एवं नियमों को ताक पर रख कर धड्ड्ले से अवैध खनन किया गया। Illegal Mining in Saharanpur

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आपको बता दें कि जनपद में गत वर्ष कृषि भूमि / निजी भूमि में साधारण बालू के खनन के लिए 150 से अधिक अनुज्ञा पत्र जारी किये गए थे। तहसील बेहट इलाके के गांव नुनियारी निवासी सुरेन्द्र कुमार पुत्र महिपाल सिंह ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर बताया था कि खनन कारोबारियों द्वारा बिना पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र के अनुज्ञा पत्र दाखिल किये थे जो खान विभाग द्वारा मिली भगत कर स्वीकृत किए गए थे। शिकायत कर्ता की शिकायत पर जांच करने की बजाए उल्टा शिकायत कर्ता को ही अवैध खनन सबंधित साक्ष्यों के साथ उपस्तिथ होने का आदेश दिया है। शिकायत कर्ता के मुताबिक़ खनन कारोबारियों द्वारा उन्हें झूठे मुकदमे में फ़साने की धमकियां भी दी जा रही हैं। Illegal Mining in Saharanpur


Instead of Investigation Administration Asked for Vidence From Complainant
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जिला प्रशासन की ओर से भेजे गए पत्र में राष्ट्रीय हरित अधिकरण, नई दिल्ली द्वारा विभिन्न रिट याचिकाओं में पारित आदेशों की अवहेलना कर जनपद सहारनपुर में कृषि भूमि / निजी भूमि में साधारण बालू के खनन अनुज्ञा पत्र बिना पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र के स्वीकृत किए गए हैं। इन तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए 30 अक्तूबर 2023 को समय 12 बजे जिलाधिकारी के समक्ष अपने शिकायती पत्र में उल्लिखित तथ्यों के साक्ष्यों सहित तलब किया गया है। जिससे अवैध खनन की शिकायत का निरस्तारण किया जा सके। प्रशासन ने यदि सक्ष्यों सहित उपस्थित नहीं होते तो यह समझा जाएगा कि आप द्वारा की गई शिकायत निराधार एवं झूठे साक्ष्यों पर आधारित है। Illegal Mining in Saharanpur

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जिला प्रशासन ने अनुज्ञापत्र की पत्रावलियों में पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र की जांच करने की बजाय शिकायत करने वाले से ही शिकायत के साक्ष्य मांगे हैं। हैरत की बात तो ये है कि जिला प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने मौके पर पहुँच कर जांच करना तो दूर खनन जोन में जाने की जरूरत भी नहीं समझी है। जहां खनन माफियाओं द्वारा यमुना नदी का सीना चीर कर न सिर्फ अवैध खनन किया गया है बल्कि NGT के निर्देशों और मानकों को ताक पर रखा गया है। 6 फ़ीट के बजाये 30 से 40 फ़ीट तक की गहराई तक खनन उठाया गया है। जेसीबी मशीनों के साथ पॉक लैन मशीनों द्वारा बहती यमुना नदी से खनन किया गया। Illegal Mining in Saharanpur
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शिकायत कर्त्ता सुरेंद्र सिंह ने बताया कि खनन जोन में कई वर्षों से तहसील के अधिकारियों का चहेता एक लेखपाल अंगदी पांव जमाये बैठा है। यह लेखपाल अपनी करतूतों को छिपाने के लिए खनन माफियाओं के साथ मिला हुआ है। जिसने खनन माफियायों का एक गैंग बनवाकर शिकायत करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई शुरू कर दी है। ऐसे मामलों को प्रशासन ने यदि कार्रवाई नहीं की तो खनन जोन में सच्चाई बताने वालों का गला ही दबा दिया जाएगा। नानौली निवासी ईश्वरपाल के खिलाफ मुकदमा हो चुका है और सुरेन्द्र कुमार पुत्र महिपाल सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का प्रयास किया जा रहा है। Illegal Mining in Saharanpur

 

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