Commission got angry case English ban in darul ulum : सहारनपुर : दारुल उलूम में अंग्रजी बैन पर आयोग ने जताई नाराजगी, नोटिस भेज 21 जून तक मांगा जवाब
Published By Roshan Lal Saini
Commission got angry case English ban in darul ulum सहारनपुर : फतवों की नगरी एवं विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम में छात्रों के अंग्रेजी पढ़ने पर लगी पाबंदी का मामला बढ़ता जा रहा है। संस्था में धार्मिक तालीम के साथ अंग्रेजी एवं आधुनिक विषयों की पढ़ाई नहीं करने के मामले में यूपी अल्पसंख्यक आयोग ने दारुल उलूम को न सिर्फ नोटिस जारी किया है बल्कि 21 जून तक जवाब मांगा है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी जिलाधिकारी सहारनपुर को पत्र भेज कर कार्रवाई का निर्देश दिया है। साथ ही राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने जिलाधिकारी के जरिये संस्था से जवाब भी तलब किया है। यूपी अल्पसंख्य आयोग ने दारुल उलूम देवबंद से स्पष्टीकरण देने को कहा है। जिसके बाद दारुल उलूम प्रबंधन में हड़कंप की स्तिथि बनी हुई है। हालांकि जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी इस मामले में पहले ही सफाई दे चुके हैं।
मौलाना अरशद मदनी के मुताबिक जो छात्र यहां पर दीनी तालीम सीखने के लिये आते हैं अरबी पढ़ने, आलिम बनने के लिए आते हैं उनकी पढ़ाई बहुत सख्त होती है। अगर ऐसे छात्र अलग से कोचिंग कर अंग्रेज़ी या दूसरी तालीम हासिल करने की कोशिश करते हैं तो वो कामयाबी हासिल नही कर पाते। दारुल उलूम में तालीम का निज़ाम बहुत सख्त है। जो छात्र मदरसे की पढ़ाई के साथ अंग्रेजी की ओर ध्यान देते हैं यानि ऐसे छात्र जो दो नाव की की सवारी करते हैं, वे न सिर्फ हमारे तालीमी निज़ाम को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि खुद के भविष्य को भी बिगाड़ रहे हैं। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि भारत भर में बहुत से गुरुकुल भी चलाये जा रहे हैं जहां पर उनको धार्मिक शिक्षा दी जाती है और वहां पर वही छात्र एडमिशन लेते हैं जिनको धर्म की जानकारी और धार्मिक शिक्षा चाहिये। बावजूद इसके मदरसे और उनके छात्रों को ही टारगेट क्यों बनाया जाता है।गुरुकुल की तरह मदरसे में जो छात्र एडमिशन लेते हैं वो वहां धार्मिक शिक्षा, अरबी शिक्षा और मौलवी आलिम मुफ़्ती बनने के लिए ही आते हैं। Commission got angry case English ban in darul ulum